महत्वपूर्ण हो गया भाजपा का प्लान-बी
(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
- यूपी में तो भाजपा की सरकार बनने की संभावना
- उत्तराखण्ड और गोवा में पड़ेगी प्लान-बी की जरूरत
पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के नतीजे दो दिन बाद अर्थात् 10 मार्च को ही पता चल पाएंगे। केन्द्र और कई राज्यों में सत्ता संभाले हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सभी राज्यों में बहुमत से सरकार बनाने का दावा कर रही है लेकिन उसके मन में भी कहीं न कहीं संदेह है। विशेष रूप से उत्तराखण्ड और मणिपुर व गोवा में। इन्हीं राज्यों के लिए भाजपा ने प्लान-बी अर्थात् बहुमत की योजना बना रखी है। उत्तर प्रदेश के बाद भाजपा के लिए उत्तराखण्ड महत्वपूर्ण है। यहां पर भाजपा ने दो-दो मुख्यमंत्री बदले हैं। पुष्कर सिंह धामी और प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर भाजपा को बहुमत जुटाने का भरोसा है लेकिन इसके बावजूद यदि सरकार बनाने भर को बहुमत नहीं मिला तो क्या किया जाएगा, इसकी रणनीति बनाने के लिए धुरंधर नेताओं को जिम्मेदारी सौंप दी गयी है। मध्य प्रदेश के अनुभवी नेता कैलाश विजय वर्गीय जोड़-तोड़ में माहिर माने जाते हैं। इनको उत्तराखण्ड में प्लान-बी का मुखिया बनाया गया है। उनकी सहायता भाजपा प्रदेश अध्यक्ष करेंगे। जाहिर है कि भाजपा के प्लान-बी में कांग्रेस के विधायक निशाने पर रहेंगे लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल का मानना है कि इस बार कांग्रेस मजबूत है और बहुमत से सरकार बनाएगी। सरकार न बना पायी तो उसके विधायक इधर-उधर नहीं होंगे। फिलहाल, अभी तो चुनाव नतीजों की प्रतीक्षा करनी चाहिए।
पांचों राज्यों में बीजेपी बहुमत के साथ सत्ता में आने के दावे के साथ- साथ ही प्लान बी पर भी काम कर रही है। यदि परिस्थितियां बदलीं और किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला तो ऐसे में क्या होगा। इसलिए उत्तराखंड बीजेपी ने इसके लिए भी प्लान बी पर काम करना शुरू कर दिया है। बीजेपी की पार्टी लाइन के हिसाब से उत्तराखंड को बीजेपी किसी भी सूरत में अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहती। इसलिए विधानसभा चुनाव परिणाम आने से पहले ही पार्टी हर तरह के गुणा- भाग में जुटी हुई है। विभिन्न सर्वे में कांग्रेस की मिल रही बढ़त ने भी बीजेपी की चिंता बढ़ा दी थी। अब एग्जिट पोल ने भी कांटे की टक्कर बतायी है। बहुमत मिला तो ठीक और बहुमत के आसपास पहुंचे तो भी बीजेपी का प्लान है कि वो सरकार बनाने से पीछे नहीं हटेगी। उसे हर सूरत में उत्तराखंड में अपनी सरकार चाहिए। सूत्रों की मानें तो इसके लिए प्लान बी को अमलीजामा पहनाने का टारगेट सौंपा गया है राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय को। विजयवर्गीय की इस टीम में उत्तराखंड चुनाव प्रभारी प्रहलाद जोशी और प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम भी शामिल होंगे। विजय वर्गीय ने कहा कि उत्तराखंड में बहुमत जुटाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यहां बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आ रही है। देहरादून के एक होटल में रूके कैलाश विजयवर्गीय ने चुनाव प्रभारी प्रहलाद जोशी, मुख्यमंत्री पुष्कर धामी और प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के साथ देर शाम मीटिंग की। सूत्रों के अनुसार, इस मीटिंग में बीजेपी नेताओं ने ए, बी और सी प्लान को लेकर चर्चा की। प्लान ए के तहत यदि बीजेपी बहुमत में आती है तो सरकार का क्या स्वरूप होगा, इसको लेकर चर्चा हुई। लेकिन यदि बीजेपी बहुमत में नहीं आती और बहुमत के करीब पहुंचती है, तो फिर सरकार बनाने की कवायद होगी। इसके लिए जीतकर आने वाले निर्देलीयों और बसपा के प्रत्याशियों का सहारा लिया जाएगा। इनको कैसे मैनेज किया जाएगा इसको लेकर रणनीति बनाई जा रही है। प्लान सी के तहत सरकार न बना पाने की स्थिति पर भी चर्चा हुई। बीजेपी के इस प्लान बी और उत्तराखंड में कैलाश विजयवर्गीय की मौजूदगी को लेकर कांग्रेस डरी हुई है। कैलाश विजयवर्गीय जोड़तोड़ के माहिर माने जाते हैं। बीजेपी कई राज्यों में उनका प्रयोग कर चुकी है। कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी जोड़तोड़ के लिए कुख्यात है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल कहते हैं कि हमारे कैंडिडेट सब परिपक्व हैं, मजबूत हैं। हम बहुमत के साथ सरकार बनाएंगे। उन्होंने स्वीकार किया कि जिस तरह से बीजेपी का इतिहास रहा है, इससे उन्हें आशंका है और इसके लिए पार्टी ने अपने सभी कैंडिडेट को लाइनअप करना शुरू कर दिया है।
मणिपुर में पहले जो ओपिनियन पोल किया गया उसका सैंपल साइज 6 हजार है और सूबे की सभी 60 सीटें पर यह सर्वे किया गया है। राज्य में 60 सीटें और 16 जिले हैं। खुंद्रकपम, हीनगंग, थोउबाल जैसे अहम जिले भी मणिपुर में शामिल हैं। पोल के मुताबिक इस बार मणिपुर में भाजपा का वोट शेयर का 41 फीसदी रहने की संभावना है। कांग्रेस का वोट शेयर 30 फीसदी रहने की संभावना है। अन्य के हिस्से में कोई बदलाव नहीं हो रहा है और उनके हिस्से 29 फीसदी वोट शेयर आ सकते हैं। सर्वे के मुताबिक मणिपुर में भाजपा का वोट शेयर का 5 फीसदी बढ़ने की संभावना है। कांग्रेस का वोट शेयर 5 फीसदी घटने की आशंका है। ओपिनियन पोल में मणिपुर में सीएम के पसंदीदा चेहरा की बात करें तो एन बीरेन सिंह 33 फीसद लोगों की पसंद हैं। ओकरम इबोबी सिंह 19 फीसद, एन लोकेन सिंह 12 फीसद, वाई जॉयकुमार सिंह 8 फीसद लोगों की पसंद है। इसके अलावा किसी अन्य को 28 फीसद लोग सीएम बनाना चाहते हैं। अब मणिपुर के एग्जिट पोल बता रहे हैं कि यहां फिर कमल खिलेगा। मणिपुर की 60 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को लगभग 34 सीटें मिल रही हैं और कांग्रेस लगभग 17 सीटें ही मिलने की संभावना जतायी गयी है। हालांकि कुछ चैनलों ने भाजपा को 30 के नीचे पहुंचा दिया है। इसलिए यहां भाजपा का प्लान-बी महत्वपूर्ण होगा।
इसी प्रकार गोवा में भी भाजपा को सरकार बनाने के लिए प्लान-बी की जरूरत पड़ेगी। एग्जिट पोल के अनुसार गोवा में सत्तारूढ़ भाजपा को 40 सदस्यीय विधानसभा में 13 से 19 सीटें ही मिलती नजर आ रही हैं। एक चैनल ने 16 से 22 सीटें मिलने की भी संभावना जतायी है। हालांकि कांग्रेस को भी 11 से 17 विधायक ही गोवा में मिलने की बात कही गयी है। यहां आम आदमी पार्टी को भी आधा दर्जन तक सीटें मिल सकती हैं। इसलिए भाजपा को गोवा में अगर फिर से सरकार बनानी है तो प्लान-बी को मजबूती से लागू करना पड़ेगा। पिछले विधानसभा चुनाव में गोवा में भाजपा को 33 फीसदी वोट मिले थे। कांग्रेस पार्टी को 28 फीसदी और अन्य दलों को 39 फीसदी थी। ओपिनियन पोल के अनुसार, इस बार गोवा में भाजपा को 2 फीसदी वोट का नुकसान हो सकता है जबकि कांग्रेस को 1 फीसदी वोट का फायदा हो सकता है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को 13, कांग्रेस को 17 और अन्य दलों को 10 सीटें मिली थीं। ओपिनियन पोल के अनुसार, इस बार गोवा में कांटे का मुकाबला देखने को मिल सकता है। गोवा विधानसभा की 40 सीटों के लिए 301 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे। इस बार गोवा की लड़ाई दिलचस्प है। स्थानीय पार्टियों के अलावा, बीजेपी, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी ने भी इसमें खूब जोर लगाया। तृणमूल कांग्रेस ने भी यहां प्रचार किया है। गोवा के दिवंगत मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के बेटे उत्पल पर्रिकर भी सुर्खियों में रहे। यहां, भाजपा, कांग्रेस और आप उम्मीदवारों के बीच चुनाव में कांटे की टक्कर देखी जा रही थी।
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