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आरक्षण और स्वर्ण

आरक्षण और स्वर्ण 

आरक्षण के पक्षधर सभी धर्म जाति और समाज का प्रतिनिधित्व करने वालो, 
आरक्षण आपको दाखिला दिला सकता है, ज्ञान नही,
आरक्षण नौकरी दिला सकता है, सही निर्णय लेने की समझ नही,
आरक्षण से डॉक्टर की डिग्री पा सकते हो, कुशलता नही।
आरक्षण को साधन बनाओ, साध्य नही।
स्वर्ण जाति में आने वाले सभी मित्रों...
ज्ञान प्राप्त करो, कुशलता और योग्यता बढाओ, अपनी पहचान जाति से नही योग्यता और समाज में अपनी उपयोगिता से बनाओ।
आरक्षण की लडाई में अपने समाज को मत झोंको, बल्कि दुगनी ताकत से अपने बच्चों को योग्य बनाओ।
एक आरक्षण प्रेमी की पीडा
आरक्षण हमको अब भाता, शिक्षा से अपना क्या नाता?
बिन मेहनत के मिले नौकरी, पढने में क्यों समय गंवाता?

लूट- खसोट और बेईमानी, सब कुर्सी के साथ जुडे हैं,
जब कानून बना दलितों का, कानून का भय नही सताता।

माना हमको ज्ञान नही है, बस डिग्री से पहचान बनी है
आरक्षण वाले डॉक्टर वैज्ञाणिक, भविष्य पर ध्यान नही है।

अपमान करूँ स्वर्ण जाति का, चाहत ऐसी ख्वाब मेरा था।
सदियों तक झेली पीडाओं का, शूल मेरे हृदय में चुभा था।

लेकिन खुद से हार गया मैं, स्वर्णों से रार टाल गया मैं,
बिना आरक्षण सर्वोच्च शिखर, देखकर मेहनत मान गया मैं।

कोई क्षत्रिय बाहुबली सा, कोई जाट भीम महान था,
गुर्जर सीमा का प्रहरी, कोई खेत में कृषक महान था।

वैश्य कुशल थे व्यापार में, ब्राह्मन भी तो विद्वान था,
आरक्षण पा बढने वाला, मुझको कोई नही मिला था।

जितने कुशल चिकित्सक देखे, व्यापारी इंजिनियर देखे,
शीर्ष पदों पर निर्णय लेते, बनिये ब्राह्मण ठाकुर देखे।

आरक्षण की बैसाखी वाले, लंगडे डॉक्टर अधिकारी देखे,
खुद का बच्चा बिमार पडा तो, स्वर्ण डॉक्टर आते देखे।

अ कीर्तिवर्धन
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