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डर

डर

वेद प्रकाश तिवारी
तुमने मुझे रोका
सड़कों पर निकलने से
मेरे बोलने पर लगाई पाबंदी
मेरी लेखनी पर सवाल उठाये
मेरी किताबों को जलाया
मुझ पर लाठियां बरसाई
जेलों में किया बंद
यह सब इसलिए 
कि मेरी कविताएं
लोगों की आंखों से 
हो जाएं ओझल
तुम्हे डर है कि तोप गोलों से
ज्यादा खतरनाक हैं 
ये कविताएं । 

-- वेद प्रकाश तिवारी
देवरिया (उ०प्र०)
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