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प्रेम का संदेश

प्रेम का संदेश

गीत मोहब्बत के मैं लिखता हूँ
उन्हें प्यार से गाता हूँ। 
अंधेरे दिलों में प्रेम का
दीपक जलता हूँ। 
और जीने की कला
लोगों को सिखाता हूँ। 
गीत मोहब्बत के मैं लिखता हूँ
उन्हें प्यार से गाता हूँ।। 

दिलों में पल रहे कड़वाहट 
और नफरतो के बीजो को। 
अपने दिलों से तुम निकालो
और प्यार मोहब्बत को अपनाओ। 
तेरे दिल की दशा और काया
निश्चित ही बदल जायेगी। 
तेरे जीवन में खुशीयों की
फिर बहार आ जायेगी।। 
गीत मोहब्बत के मैं लिखता हूँ
उन्हें प्यार से गाता हूँ। 
अंधेरे दिलों में प्रेम का
दीपक जलता हूँ।। 

रखा क्या है नफरत और 
कड़वाहटो को दिलमें रखकर। 
तू इसी में उलझा रहता है
अपने इस जीवन को। 
और दफन कर देता है 
अपनी नई नई उमंगो को। 
बस नफरतो में जीता और
उसी में मरता रहता है।। 
गीत मोहब्बत के मैं लिखता हूँ
उन्हें प्यार से गाता हूँ। 
अंधेरे दिलों में प्रेम का
दीपक जलता हूँ।। 

जगाओं दिलमें अपने 
तुम स्नेह प्यार को। 
बदल जायेगा तेरा जीवन
जो तुम मोहब्बत करोगें। 
लोगों के दिलों में स्नेह 
प्यार की तुम छाप छोड़ोगे। 
और अमन सुख शांति का 
प्यारा संदेश समाज को दोगे।। 
गीत मोहब्बत के मैं लिखता हूँ
उन्हें प्यार से गाता हूँ। 
अंधेरे दिलों में प्रेम का
दीपक जलता हूँ।। 

जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई
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