निरहुआ का गाना हुआ सार्थक
(डॉ. दिलीप अग्निहोत्री-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)विगत पांच वर्षों में उत्तर प्रदेश ने अनेक रिकार्ड बनाये है। विकास की पचास योजनाओं में यूपी नम्बर वन बना। चार दशक में पहली बार किसी मुख्यमंत्री को दुबारा जनादेश हासिल हुआ। इस क्रम में एक रोचक कीर्तिमान भी बना। इसके पहले किसी पार्टी के चुनावी गीत के एक एक शब्द इस अंदाज में चरितार्थ नहीं हुए थे। निरहुआ की आवाज में इस गाने ने धूम मचा दी थी-
चाहे जितना जोर लगा लो
चाहे जितना शोर मचा लो
जीतेगी बीजेपी ही
आएंगे फिर योगी ही
अहिएँ फिर से योगी जी... और योगी जी आ गये।
इस गाने ने भी कैंपेन सॉन्ग के इतिहास में जगह बना ली है। राजनीतिक दलों द्वारा चुनावी गीत जारी करने का चलन रहा है लेकिन सफलता किसी एक को मिलती है। अन्य पार्टियों के लिए ऐसे गीत अंततःनिराश करने वाले होते है। अक्सर गीत के बोल निशाने पर नहीं लगते। चुनावी गीत का मंसूबा निष्प्रभावी ही रहता है। इस बार भाजपा का चुनावी गीत खुशियां लेकर आया है। कांग्रेस,आम आदमी पार्टी ने भी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अपना थीम सॉन्ग जारी कर दिया था। इसके माध्यम से सरकार पर निशाना लगाया गया था। अनेक लोक लुभावने वादे किए गए लेकिन आमजन पर उनका असर नहीं हुआ। वस्तुतः सच्चाई के निकट रहने वाले शब्द ही आमजन मानस को प्रभावित करते है। निरहुआ के गीत में सच्चाई थी। पांच वर्षों के कार्य इस सच्चाई को प्रमाणित करने वाले थे। शायद यही कारण था कि गाते समय निरहुआ में भी जबरदस्त उत्साह झलक रहा था। ऐसा ही आत्मविश्वास मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ में था। वह उत्तर प्रदेश का सर्वाधिक भ्रमण करने वाले मुख्यमंत्री रहे है। उनका दावा था कि पिछले तीन मुख्यमंत्रियों के मुकाबले उन्होंने प्रदेश में सर्वाधिक बार दौरा किया है। प्रत्येक यात्रा में वह संबंधित क्षेत्र के लिए कोई न कोई विकास योजना की सौगात लेकर जाते थे। इसके साथ ही पहले से चल रहे विकास कार्यों का जायजा भी लेते थे। योगी को जमीनी स्थिति की सर्वाधिक जानकारी थी। यही उनके आत्मविश्वास का आधार था। चुनावी प्रक्रिया के प्रारंभिक चरण में योगी एक चैनल द्वारा आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए थे। वहां उनसे छत्तीस वर्ष की एक परम्परा पर प्रश्न किया गया। पूंछा गया कि इस अवधि में कोई मुख्यमंत्री दुबारा सत्ता में नहीं आया। योगी ने एक लाइन का जवाब दिया था। उनका कहना था कि-
मैं आऊंगा न
यह उस विश्वास की अभिव्यक्ति थी,जिसे उन्होंने पांच वर्ष की मेहनत से अर्जित किया था। पांच में दो वर्ष वैश्विक महामारी कोरोना से प्रभावित रहे। इसके बाद भी योगी ने यूपी के विकास को प्रभावित नहीं होने दिया। पिछली कई सरकारों की कुल उपलब्धियों की इन पांच वर्षों में पीछे छोड़ दिया गया। कानून व्यवस्था को मजबूत किया गया। विकास के अनुकूल माहौल बनाया गया। इससे विकास यात्रा तेजी से आगे बढ़ने लगी। पांच वर्ष की इन उपलब्धियों के आधार पर ही नरेंद्र मोदी ने योगी आदित्यनाथ को कर्मयोगी बताया था।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी सार्वजनिक जीवन में कर्म योग पर अमल करते हैं। वर्तमान समय में उन्होंने ईमानदारी व मेहनत से जन व राष्ट्रसेवा की मिसाल कायम की है। उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री व देश के प्रधानमंत्री के रूप में पूर्ण क्षमता कुशलता से अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह किया है। इक्कीस वर्ष की इस अवधि में उन्होंने एक भी अवकाश नहीं लिया। नरेन्द्र मोदी को कर्म योग की जीवन शैली पसन्द है। यही कारण है कि वह अक्सर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की सराहना करते रहे हैं। योगी आदित्यनाथ गोरक्ष पीठ के श्रीमहंत हैं लेकिन समाज जीवन में वह भी कर्मयोगी हैं। बिना किसी अवकाश के लगातार पूरी ईमानदारी से कार्य करना उनकी भी विशेषता है। कोरोना पॉजिटिव होने के बाद भी उन्होंने विश्राम नहीं किया। अपने आवास से लगातार वर्चुअल माध्यम से सक्रिय रहे। अधिकारियों के साथ बैठक करते रहे,उनको निर्देश देते रहे,पूरे प्रदेश से आपदा प्रबंधन के फीडबैक प्राप्त करते रहे। कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आने के कुछ घण्टे बाद ही वह वह जनपदों की व्यवस्था का भौतिक जायजा लेने निकल गए। यह क्रम कई दिनों तक जारी रहा। साठ से अधिक जनपदों में उन्होने व्यवस्था का परीक्षण किया। सभी जनपदों में ऑक्सीजन प्लांट लगवाने और संभावित तीसरी लहर की तैयारियों पर उनका विशेष जोर था। इसके पहले कोरोना की पहली लहर के दौरान उनका कर्म योग परिलक्षित हुआ था। उस समय वह लगातार आपदा प्रबंधन में व्यस्त थे। योगी के इस प्रबंधन मॉडल की दुनिया में सराहना हो रही थी। अनेक विकसित देशों ने भी योगी मॉडल की प्रशंसा की थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी योगी मॉडल की सराहना की थी। इसी दौरान योगी आदित्यनाथ के पूर्व आश्रम पिता का निधन हुआ। योगी आदित्यनाथ यह समाचार सुन कर भावुक हुए थे। फिर भी प्रदेश के हित को उन्होंने वरीयता दी। वह पुनः कोरोना आपदा प्रबंधन के कार्यों में व्यस्त हो गए। उन्होंने अपने मन की व्यथा को दबाए रखा। यही तो कर्मयोग है। इसी कार्यशैली से वह पूर्वी उत्तर प्रदेश में चार दशकों की जापानी बुखार समस्या का समाधान करते हैं। चालीस वर्षों से कहर बनी इस बीमारी पर मात्र पांच वर्षों में पंचानबे प्रतिशत तक नियंत्रण स्थापित किया गया। इसी कार्यशैली से पचास योजनाओं में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर पहुंच गया।
पहले उत्तर प्रदेश पिछड़ा और बीमारू माना जाता था। अब विकास के कीर्तिमान कायम हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश में जरूरतमन्दों को खाद्यान्न वितरण,आवास शौचालय,निःशुल्क गैस कनेक्शन व विद्युत कनेक्शन,आयुष्मान भारत,प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि आदि योजनाओं का लाभ मिल रहा है। इससे उन सभी का जीवन अब अधिक सुविधापूर्ण हो गया है। उत्तर प्रदेश में हाई-वे, एक्सप्रेस वे,डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर,डिफेंस कॉरिडोर के कार्य तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं। खेती से जुड़े कार्यों को भी पूरी सतर्कता से जारी रखा गया। बीज, खाद,उपज बेचने के उचित प्रबन्ध किये जाने से किसानों ने रिकॉर्ड उत्पादन किया। योगी सरकार ने विगत पांच वर्षों में किसानों से उनकी उपज के खरीद के हर साल नये रिकॉर्ड बनाये। उत्तर प्रदेश में हर घर नल पहुंचाने का कार्य भी तेज गति से आगे बढ़ रहा है। कोरोना के कारण बनी परिस्थितियों में रेहड़ी,ठेला लगाने वालों की आजीविका पटरी पर लाने के लिए स्वनिधि योजना के अंतर्गत बैंकों से जोड़ा गया। प्रदेश में सार्थक बदलाव की शुरुआत हुई है। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि जनता के हिस्से का एक एक पैसा जनता के खाते में पहुंचे। उत्तर प्रदेश निवेश का केन्द्र बन रहा है। बड़ी कम्पनियां उत्तर प्रदेश में आने के लिए लालायित हो रही हैं। इन्फ्रास्ट्रक्चर के मेगा प्रोजेक्ट बन रहे हैं। इण्डस्ट्रियल कॉरिडोर निर्मित हो रहे हैं। अन्न वितरण योजना से उत्तर प्रदेश के पन्द्रह करोड़ लोग योजना से सीधे लाभान्वित हो रहे हैं। योजना के तहत अन्त्योदय एवं पात्र गृहस्थी कार्डधारकों के साथ ही अन्य जरूरतमन्दों को भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों से राशन उपलब्ध कराने में मदद मिली है। योजना के तहत प्रदेश में खाद्यान्न के साथ ही एक वॉटर प्रूफ बैग भी दिया जा रहा है। नयी अयोध्या बनाने की संकल्पना को मूर्त रूप देने की कार्यवाही तेजी से आगे बढ़ रही है। इन परियोजनाओं के पूर्ण हो जाने पर वैश्विक जगत को एक नयी अयोध्या देखने को मिलेगी।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश पहले केंद्रीय योजनाओं में रुकावट पैदा करता था। अब उत्तर प्रदेश केंद्र की योजनाओं को लागू करने में अग्रणी राज्यों में हैं। अपराधियों पर कार्रवाई,गरीबों को घर, अनाज मिलना संभव हुआ। वंशवाद की राजनीति से ऊपर उठकर सबका साथ सबका विकास के आधार पर सरकार कार्य करती रहेगी। यही कारण है कि सरकार को।पुनः जनादेश मिला है।
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