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पश्चिम बंगाल में शर्मिन्दा हुआ लोकतंत्र

पश्चिम बंगाल में शर्मिन्दा हुआ लोकतंत्र

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
जनप्रतिनिधि संसद और विधानसभाओं में जनता की समस्याएं उठाने और उनके लिए हितकारी योजनाएं बनाने के लिए जाते हैं। इसके विपरीत जब वे सदन में मारपीट करते हैं, नारेबाजी करते हैं तो इससे लोकतंत्र शर्मिन्दा होता है। उन मतदाताओं को भी पछतावा होता है जिन्होंने अपना मत देकर उन्हंे विधानसभा या संसद में भेजा है। पश्चिम बंगाल विधान भवन में 28 मार्च को सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस विधायकों और मुख्य विपक्षी भाजपा विधायकों के बीच मारपीट हुई। भाजपा विधायक मनोज तिग्गा और टीएमसी विधायक असित मजुमदार के बीच हुए झगड़े में मजुमदार घायल हो गये और उन्हंे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। इस घटना के बाद शुभेन्दु अधिकारी समेत पांच भाजपा विधायकों को निलंबित कर दिया गया है। निलंबित होने वाले विधायकों में मनोज तिग्गा, नरहरि महतो, शंकर घोष और दीपक बरसन भी शामिल हैं। बंगाल विधानसभा के बजट सत्र का 28 मार्च को अंतिम दिन था। इससे पहले वीरभूम में टीएमसी नेता की मौत के प्रतिशोध में आधा दर्जन लोगों को जलाकर मार डाला गया था। इस मामले में सत्तारूढ़ दल की एक महिला को भी गिरफ्तार किया गया। भाजपा विधायक इसी घटना पर चर्चा की मांग कर रहे थे। हमारे जनप्रतिनिधि संविधान की सर्वोच्च संस्थाओं में किसी प्रकार का आचरण करते हैं। इसका यह एक और घिनौना उदाहरण है। भाजपा के वरिष्ठ नेता बीएल संतोष ने कहा है कि बंगाल की राजनीति में काफी गिरावट देखी जा रही है। भाजपा के कुछ नेताओं ने राज्य में राष्ट्रपति शासन की मांग की है।

कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के बाद बीरभूम हिंसा मामले में जांच के लिए 26 मार्च को ही सीबीआई की टीम बागतुई गांव पहुंच गई थी। यहां 22 मार्च को घरों में आग लगाकर 8 लोगों को जिंदा जला दिया गया था। इससे पहले यहां एक पंचायत स्तर के टीएमसी नेता की हत्या कर दी गई थी। सीबीआई ने इस मामले में 21 लोगों को आरोपी बनाया है। सीबीआई के साथ सेंट्रल फरेंसिक साइंस लैबोरेटरी की टीम भी पहुंची थी। सूत्रों का कहना है कि जांच की सारी प्रक्रिया का वीडियो भी बनाया गया। सीबीआई की टीम सुबह ही रामपुरहाट पुलिस स्टेशन पहुंच गई थी। केंद्रीय जांच एजेंसी ने एसआईटी के पास से केस की डायरी और अन्य जरूरी दस्तावेज लिये। बता दें कि कलकत्ता हाई कोर्ट ने कहा था कि इस मामले की जांच सीबीआई करेगी। कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार की एसआईटी मामले की निष्पक्ष जांच नहीं कर पाएगी। हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर इस मामले की सुनवाई की थी। इससे राज्य सरकार नाराज भी थी।

कोर्ट ने सीबीआई से 7 अप्रैल तक अपनी प्रोग्रेसिव रिपोर्ट सौंपने को कहा है। इसके बाद मामले की अगली सुनवाई होगी। वीरभूम जिले में संजू शेख नाम के शख्स का घार आग के हवाले कर दिया गया था। इसमें जलकर आठ लोगों की मौत हो गई। इससे पहले एक क्रूड बम के हमले में भादू शेख नाम के लोकल टीएमसी नेता की हत्या हो गई थी। सूत्रों ने बताया कि टीम इस बात की भी जांच करेगी कि क्या जो 10 घर आग में जले हैं। सब में आग लगाई गई थी या फिर कुछ खुद ही आग की चपेट में आ गए। बहुत सारे लोग गांव छोड़कर पलायन कर गए हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी गांव का दौरा किया था और लोगों को सुरक्षा का आश्वासन दिया था। उन्होंने मृतकों के परिवारों को मदद राशि दी और एक नौकरी का भी वादा किया है।

सीबीआई टीम ने सब इंस्पेक्टर ज्योति दत्ता की शिकायत पर केस दर्ज किया था। इस घटना में मीहीलाल शेख, सेकलाल शेख, बानी शेख, नेकलाल शेख, मिनारुल शेख, सोना शेख, फतीक शेख और मोबिना बीबी का घर जला था। मामला अदालत में है फिर भी पश्चिम बंगाल विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ। बजट सत्र के आखिरी दिन भाजपा विधायकों ने बीरभूम हिंसा पर चर्चा की मांग को लेकर ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ नारेबाजी। इसके बाद तृणमूल और भाजपा विधायकों में हाथापाई की स्थिति उत्पन्न हो गई। हंगामा मचाने के आरोप में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी समेत 5 भाजपा विधायकों को विधासनभा की कार्यवाही से सस्पेंड कर दिया गया। सत्तारूढ़ दल के मुख्य सचेतक निर्मल घोष ने विधानसभा में भाजपा विधायकों के खिलाफ प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि सदन की गरिमा को नष्ट किया गया है। शुभेंदु अधिकारी के उकसावे में विधानसभा में तांडव मचाया जा रहा है।

ममता बनर्जी सरकार की मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा था कि भाजपा विधायकों को निलंबित किया जाए। विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने कहा कि सदन की गरिमा को ठेस पहुंची है। संपत्ति को जो नुकसान पहुंचा है उसका हिसाब किया जाएगा। इसके बाद शुभेंदु अधिकारी समेत 4 अन्य भाजपा विधायकों को विधासनभा की कार्यवाही से निलंबित कर दिया गया। नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि बीरभूम हिंसा मामले को लेकर विधानसभा के अंदर हंगामा हुआ। विपक्ष ने कम से कम अंतिम दिन कानून-व्यवस्था पर चर्चा की मांग की, सरकार ने मना कर दिया। तृणमूल कांग्रेस के सदस्य हमारे 8-10 विधायकों के साथ संघर्ष करने के लिए कोलकाता पुलिस कर्मियों को सिविल ड्रेस में सदन के अंदर लेकर आए। बीरभूम जिले में रामपुर हाट के बागुती गांव के रहने वाले पंचायत उप-प्रधान भादू शेख की हत्या के बाद उनके समर्थकों ने 21 मार्च की देर रात आगजनी की थी। उन्होंने कई घरों की बाहर से कुंडी लगाकर उन्हें आग के हवाले कर दिया। इसमें करीब 8 लोग जिंदा जल गए। इनमें 7 लोग तो एक परिवार के बताए जाते हैं। खबरों के मुताबिक, भादू शेख राज्य की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के नेता थे। भादू शेख बारोसल गांव की पंचायत के उप-प्रधान थे। राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक-60 पर उनकी दुकान है। वहीं 2 दिन पहले जब वे बैठे हुए तो उन पर बम से हमला हुआ था। घायल अवस्था में उन्हें अस्पताल ले जाया गया लेकिन बचाया नहीं जा सका। इससे उनके समर्थक उग्र हो गए और उन्होंने बागुती गांव में आगजनी कर दी।
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