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शहीद दिवस

शहीद दिवस

(क्रांतिवीर सुखदेव, राजगुरु एवं भगतसिंह को शत् शत् नमन)

जिन्होंने बीज बो दिए थे ऐसे, तत्पर थे देश के युवा देने को बलिदान
क्रांतिवीर सुखदेव, राजगुरु, भगतसिंह की कुर्बानी,याद रखेगा हिंदुस्तान
सौ सौ जन्म न्यौछावर करने भाव भरे थे, लक्ष्य था ऊंची रखना माॅ॑ की शान
गोरों से मुक्त कराने मातृभूमि को,खाई माटी की सौगंध,रखे हथेली प्राण
इंकलाब जिंदाबाद कह,हो गये माताओं के तीनों लाल एक साथ कुर्बान
तेईस मार्च हो गया भारत के इतिहास का अमर दिवस बलिदान
क्रांतिवीरों आओ फिर से, अंग्रेजी संस्कृति से टकराओ
कलुषित पाश्चात्य संस्कृति से,अपना भारत मुक्त कराओ
विश्वासों के दीप जलाकर,देश है तुमको पुकार रहा
आओ आकर राह दिखाओ, राष्ट्र राह तुम्हारी जोह रहा
उठे राष्ट्र प्रेम देश में,हर हृदय में फिर से ज्वाला जागे
जागे देश का गौरव अभिनव,कुंठाओं का कौरव दल भागे
क्रांति की मशाल जलाने, फिर रहे जवानी देश की आगे
प्रखर शौर्य पराक्रम भरपूर रहे, दूर प्रमाद तिमिश्रा भागे
पावन सुरसरि सी धार बहे, वैभवशाली हो देश हमारा
आप सदृश्य क्रांतिवीरों पर,बलि बलि जाये देश हमारा
चमकता माता का शीश किरीट रहे,हो अविराम लक्ष्य हमारा
रहे कामना अविरल, तिरंगा जग में लहर लहर लहराये हमारा
फॅ॑दा चूम हॅ॑स हॅ॑स झूल गए फाॅ॑सी पर,थे तुम संपूर्ण देश के प्यारे
न्यारे आप तीनों थे माॅ॑ भारती के दुलारे, नतमस्तक हैं शीश हमारे
भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु, कोटि कोटि अभिनंदन वंदन करता है यह देश तुम्हरा
स्वीकार करो श्रद्धांजलि कृतज्ञ राष्ट्र की,जो युगों युगों रहेगा ऋणी तुम्हारा
        जय हिंद वन्दे मातरम्
         चंद्रप्रकाश गुप्त "चंद्र"(ओज कवि एवं राष्ट्रवादी चिंतक), अहमदाबाद, गुजरात
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