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सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करता है होली : डॉ शिवनारायण

सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करता है होली : डॉ शिवनारायण

डॉ नीतू कुमारी नवगीत के गीत पर खूब झूमे स्रोता

गोस्वामी जागरण मंच के होली मिलन समारोह में खूब उड़े फूल-गुलाल

पटना।आज दिनांक 13 मार्च,2022को पटना स्थित " बाबा भिखमदास ठाकुरबाड़ी में गोस्वामी जागरण मंच के तत्वावधान में वसंतोत्सव सह होली मिलन समारोह सम्पन्न हुआ जिसकी अध्यक्षता नई धारा के संपादक डॉ शिवनारायण ने की।अपने अध्यक्षीय भाषण में नई धारा के संपादक डॉ शिवनारायण ने कहा कि भारतीय संस्कृति में होली का त्योहार विशेष महत्व रखता है।होली में ऊंच-नीच,अमीर-गरीब का भेदभाव मिटाकर सभी एक रंग में रंग जाते हैं। होली सामाजिक और सांस्कृतिक विरासत के साथ ही सामाजिक ताने-बाने को मजबूत बनाने का त्योहार है। होली मिलन समारोह में सभी को बुराइयों से दूर रहने का संकल्प लेना चाहिए।
समारोह का उद्घाटन बाबा भिखमदास ठाकुरबाड़ी के महन्त जयनारायण दास ने किया।अपने उद्घाटन भाषण में महन्त जी ने कहा कि होली मिलन से समाज में एकजुटता आती है और समाज में भाईचारा बढ़ता है।गोस्वामी जागरण मंच हर साल होली मिलन समारोह कर समाज में सतरंगी सामाजिक समरसता का संदेश देने का काम कर रहा है जो सराहनीय है।
समारोह की मुख्य अतिथि,लोकगायिका एवं पटना की स्वक्षता ब्रांड एंबेसडर डॉ नीतू कुमारी नवगीत ने होलिया खेले राम लला,रंग उड़ेला गुलाल ए पिया कहिया ले अईबा,गौरा करी के श्रृंगार अंगना में पिसेली हरदिया,अऊरी महिनवा में बरसे ना बरसे फगुनवा में रंग रसे रसे बरसे,होली खेले रघुवीरा अवध में, रंग बरसे भीगे चुनरवाली रंग बरसे, मन फागुन में हो जाला मतवाला,बाबा हरिहर नाथ सोनपुर में होली खेले,होलिया में उड़े रे गुलाल तईयो रे मंगेतर से,,,प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया।
बसंत के नव आगमन से, यूँ खुली हैं बंद फूलों की पंखुरी की प्रस्तुति दी श्रीमती रजनीप्रभा ने।वहीं डॉ अन्नपूर्णा श्रीवास्तव ने सुनाया इक दूजे की दिल से 'हो' - लें,फिर बोलो कि होली है
दिल में प्रेम के रस - रंग घोलें,फिर बोलो कि 'हो ली' है!लोकगायिका इन्दु कुमारी ने राम जी के हथवा कनक पिचकारी,फगुआ खेलके कइले बाड़े तैयारी प्रस्तुत की।प्रो(डॉ)सुधा सिन्हा ने प्रस्तुत की - ऐसा होली का रंग लगा दो
मुझको रँग मेें पियवा भि॔गा दो।
ऐसा रंग लगाना सजनवा
रंगीन करदो घर अंगनवा।
डॉ चुन्नन कुमारी ने बहे फागुन बयार,,, प्रस्तुत की।आया आज फिर से यार ये त्योहार होली का उड़ा है रंग ,खिला गुलशन,सजा बाजार होली का,,,ये जीवन कब कहां जाने किधर किस मोड़ पर लाए,,,को रेखा भारती मिश्र ने प्रस्तुत किया।
युद्ध कहीं हो,हम तो शांति के गीत सुनायेंगे।दुश्मन को भी होली में हम गले लगायेंगे,,, को डॉ. पूनम सिन्हा श्रेयसी ने प्रस्तुत किया।साहित्यकार डॉ उमाशंकर सिंह,डॉ पंकज प्रियम ने अपने गीतों से लोगों का मन मोह लिया।लोकगायक प्रदीप सिंह यादव,अरुण कुमार गौतम,लक्ष्मण गिरि ने भी एक से एक होली गीत प्रस्तुत किये।
राँची विश्वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो.(डॉ)जे.बी.पाण्डेय एवं राँची के ही समाजसेवी रविन्द्र भगत,गोस्वामी जागरण मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ पी.एस. दयाल यति,राष्ट्रीय अध्यक्ष(बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ)डॉ कृष्ण कुमार शर्मा एवं सुधांशु शेखर पाण्डेय बतौर मुख्य अतिथि अपना सम्बोधन प्रस्तुत किया।
समारोह की शुरुआत जिज्ञासा संसार के सहायक संपादक कुमार सुन्दरम के मंगलाचरण एवं डॉ प्रणव पराग के भोजपुरी गीत के साथ हुआ।
समारोह में गोस्वामी रत्न रवि पुरी,समाजसेवी योगिराज आर्यन गिरि,छात्र प्रकोष्ठ अध्यक्ष रजनीकांत गिरि,जीत द यात्री,कुन्दन कुमार सिंह,अनामिका कुमारी सहित सैकड़ों लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की।
समारोह के समापन की घोषणा बाबा भिखमदास ठाकुरबाड़ी के महन्त विमल दास जी के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुई एवं सभी ने पुआ-पुरी,सब्जी-खीर आदि का आनंद लेकर एक दूसरे से विदा हुए।
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