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तनिक नहीं कभी पछताते

तनिक नहीं कभी पछताते

सच को सच बतलाने से बोलो तुम क्यों हो घबराते।
अन्यायी के साथ खड़े होकर आखिर तू क्या पाते।
       क्या तनिक नहीं कभी पछताते ?

अहिंसा की पावन धरती पर हिंसा की खेती करवाकर।
शोणित-धार बहा-बहाकर स्वयं को निर्दोष हो बतलाते।
      क्या तनिक नहीं कभी पछताते ?

घृणाभाव मन में भरकर ऊपर से प्रेम हो दिखलाते।
मानव रूप धर दानव का करते काम न शर्माते।
       क्या तनिक नहीं कभी पछताते?

रक्तपात भीषण  करवाते जो क्रूरतम अत्याचार मचाते।
ऐसे जल्लादों पर "विवेक" क्यों हो दया दिखाते।
      क्या तनिक नहीं कभी पछताते?

    डॉक्टर विवेकानंद मिश्र डॉक्टर विवेकानंद पथ गोल बगीचा गया बिहार
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