मन के नयन हजार
चंचल मन ले रहा हिलोरे, उमड़े भाव विचार।
मन की अखियां खोलिए, मन के नयन हजार।
मन के नयन हजार,मन के नयन हजार।
निर्मल मन में बह रही, भाव भरी रसधार।
चंचल चितवन उठ रही, उमंगों की भरमार।
प्रेम भरे मोती लिए, मन से बांटो प्यार।
दिल तक दस्तक दे रहे, मधुर मधुर उद्गार।
मन के नयन हजार,मन के नयन हजार।
मन में मोतीराम हुए, वीणा के सब तार।
दिल के जुड़ गए तार जब, मधुर बजे झंकार।
मन के जीते जीत है, मन के हारे हार।
मन की सुनिए तो जरा, महकते शब्द अपार।
मन के नयन हजार,मन के नयन हजार।
घिर आई घटाएं नभ में, नाच उठा मन का मोर।
गीत सुहाने लब पे छाये, कविता ने मचाया शोर।
खिल गया चमन सारा, लगा खुशियों का अंबार।
मन का कोना कोना हर्षित, हृदय उमड़ता प्यार।
मन के नयन हजार,मन के नयन हजार।
मन मेरा घायल हुआ, दिल हो गया था बेचैन।
नैनों में सागर उमड़ा, देख मधुर सुहानी रेन।
खुशियों के मेघों का जब, लग गया अंबार।
तन मन उमड़े प्रेम की, बरसे मधुर फुहार।
मन के नयन हजार,मन के नयन हजार।
रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
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