Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

महिला-दिवस को

महिला-दिवस को

****************
हमारी भी है कुछ पहचान।
सृष्टि की हम भी हैं मुस्कान।
हमारी भी है कुछ पहचान।
हरि की कमला शिव की गौरी विधि की वाणी जान।
माँ बन जन्म दिया औ’ पाला,
भगिनी बनकर तुझे सम्हाला,
पत्नी बन सर्वस्व लुटाया
पुत्री बन घर किया उजाला।
बोल, कहाँ कब कैसे पीछे, खुद तू तौल पुमान!
दुर्गा हाड़ा जीजा बाई,
मीरा बाई, लक्ष्मी बाई
उषा कल्पना बच्छेन्द्री हम
सरोजिनी सावित्री बाई,
लक्ष्मी सहगल लता भोंसले चन्द्रमुखी बसु मान।
कौन क्षेत्र है जहाँ न हैं हम,
कौन विशेषण जिसमें हम कम
शिक्षा-दीक्षा पद-प्रतिभा में
दिखलाती आई हैं दमखम
नर-नारी दो भले लगें, पर दोनों एक समान।
चला रही हैं वायुयान हम,
सैनिक बनकर दिखा रहीं दम,
वीर-सपूतों की हैं जननी
सीमाएँ पड़ती आईं कम।
जिधर लगा दे उधर हमारा करतब देख सुजान!
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ