सहनी और नीतीश को सबक
(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
बिहार के राजनीतिक महाभारत में नीतीश कुमार ही महारथी नहीं हैं। उनकी सरकार में ही कई नेता ऐसे हैं। पिछले दिनों यूपी विधानसभा चुनाव में जद(यू) व सहनी भाजपा के लिए मुश्किल बन गये थे, अब भाजपा ने उनको सबक सिखाया है। राज्य में जद(यू) के नेतृत्व में नीतीश कुमार सरकार चला रहे हैं लेकिन उनके पास भाजपा से कम विधायक हैं। नीतीश अपने विधायकों की संख्या बढ़ाना चाहते हैं ताकि भाजपा के दबाव को कम किया जा सके। इसी समीकरण के तहत नीतीश कुमार चाहते थे कि मुकेश साहनी की वीआईपी पार्टी के तीन विधायक जद(यू) में शामिल हो जाएं। यह भनक भाजपा को भी लग गयी थी और भाजपाई महारथियों ने वीआईपी के तीनों विधायकों को भाजपा के पाले में खींच लिया। अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर मुकेश सहनी से मंत्री पद से इस्तीफे का दबाव डाला जा रहा है। मुकेश सहनी ने इस पर संयमित किन्तु सारगर्भित प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मेरा इस्तीफा सीएम नीतीश कुमार का विशेषाधिकार है लेकिन यह भी कहा कि एनडीए में वीआईपी का अधिकार है और जब तक सांसद रहेगी, तब तक झुकूंगा नहीं। कंधे से कंधा मिलाकर चलना मंजूर है लेकिन चार बात आपकी मानूंगा तो आपको भी हमारी चार बातें माननी पड़ेंगी। बिहार में नवम्बर 2020 में विधनसभा के चुनाव हुए थे। इससे एक साल पहले लोकसभा चुनाव मे भाजपा को 17 सांसद मिले तो जद(यू) को 16 सांसद। इस प्रकार दोनों दल लगभग बराबरी पर थे लेकिन बिहार के 243 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को 74 विधायक मिले और जद(यू) को 43 विधायकों से ही संतोष करना पड़ा था। अब मुकेश सहनी के तीन विधायक भी भगवा रंग में शामिल हो गये हैं। यूपी में प्रचण्ड जीत के बाद भाजपा नीतीश और सहनी को सबक सिखा रही है।
बिहार की नीतीश सरकार में कैबिनेट मंत्री और वीआईपी पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी फिलहाल मंत्री पद से इस्तीफा नहीं देंगे। मुकेश सहनी ने अपनी पार्टी वीआईपी के तीन विधायकों के बीजेपी में विलय के बाद पटना में प्रेस से बात की। मुकेश सहनी ने इस दौरान बीजेपी पर संगीन आरोप लगाए लेकिन जब उनसे मंत्री पद के इस्तीफे को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि मेरा इस्तीफा सीएम नीतीश कुमार का विशेषाधिकार, इसलिए जैसा वो कहेंगे मैं वैसा ही करूंगा। उन्होंने बिहार बीजेपी के नेताओं पर आरोप लगाया और कहा कि मुझे शुरू से ही कमजोर करने और तोड़ने की साजिश की जा रही थी। मैंने जब भी आगे बढ़ने की कोशिश की है तो मैं लोगों की आंखों में खटका हूं। मुकेश सहनी ने कहा कि मैंने कोई गलती नहीं की है यूपी का चुनाव लड़ के। मैं आखिरी सांस तक अपने लोगों के लिए लड़ाई लड़ता रहूंगा लेकिन संजय जायसवाल ने बहुत झूठ बोला। सहनी ने कहा कि बीजेपी से मेरी जो डीलिंग हुई वह मेरे और अमित शाह जी के बीच हुई थी। संजय जायसवाल तब कमरे के बाहर भी नहीं खड़े थे। सहनी ने कहा कि संजय जायसवाल और बीजेपी के दूसरे नेता जो बात बोल रहे हैं, अगर वही बात केंद्रीय गृह मंत्री बोल दें तो मैं सही मान लूंगा। जो पार्टी दूसरे की पार्टी के विधायकों को छीनकर सबसे बड़ी पार्टी बन जाये, उस पार्टी को नैतिकता के आधार पर मेरे से इस्तीफा मांगने का अधिकार नहीं है। मुकेश सहनी ने कहा कि मैं 18 साल की उम्र से संघर्ष कर रहा हूं। मैं मुम्बई में फुटपाथ पर रहा हूं, फुटपाथ पर सोया हूं। 2020 में जब नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार में शामिल हुए लेकिन लोगों को यह पच नहीं पाया। बिहार के मंत्री ने कहा कि मैं आरक्षण निषाद, कर्पूरी ठाकुर के सपने को पूरा करना चाह रहा, जातीय जनगणना करवाना चाह रहा तो क्या गलती है। मुकेश सहनी ने कहा कि मुझे पता था कि यह सब एक दिन होगा। लोग चाहते हैं कि मैं कहूं उठो तो उठे और बैठने को कहे तो बैठें लेकिन मैं ऐसा करने वालों में से नहीं हूं।
इस प्रकार बिहार की राजनीति में इन दिनों अजीब सी स्थिति बन गई है। एक तरफ जहां बिहार की एनडीए सरकार में शामिल दल ही अपने मंत्री से इस्तीफा मांगने का दबाब बना रहा है तो वहीं इस्तीफे का दबाब झेल रहे मुकेश सहनी ने गेंद को सीधे नीतीश कुमार के पाले में डालकर नीतीश कुमार की भी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। बिहार की सत्ता में सियासत और दबाव की इस स्थिति की शुरुआत या यूं कहें कि पृष्ठभूमि तब शुरू हुई जब मुकेश सहनी ने यूपी चुनाव में बीजेपी के खिलाफ हाथ आजमाने की घोषणा की।
यूपी में मुकेश सहनी की पार्टी के चुनाव लड़ने और बोचहां विधानसभा के लिये हो रहे उपचुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार के खिलाफ ही वीआईपी का उम्मीदवार उतार देने के बाद बीजेपी ने सीधा सर्जिकल स्ट्राइक किया और मुकेश सहनी की पार्टी को ही नेस्तनाबूद कर दिया। विधानसभा में मुकेश सहनी की पार्टी के तीनों विधायकों को बीजेपी में शामिल कर उनको पैदल कर दिया। लगे हाथों अब बीजेपी ने मुकेश सहनी पर इस्तीफा का दबाब बनाना शुरू कर दिया है। मुकेश सहनी ने खुद पर पड़ रहे इस्तीफे के दबाब को नीतीश कुमार पर ठेलते हुये कह दिया है की इस्तीफा नही देंगे और यह क्षेत्राधिकार सीएम का है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो बीजेपी ने इस्तीफे की मांग कर नीतीश कुमार पर दबाब बढ़ा दिया है। सत्ता की सियासत के खेल में मुकेश सहनी मामले में नीतीश कुमार फिलहाल कुछ भी नहीं बोल रहे हैं। मुकेश सहनी बोचहां में अपने उम्मीदवार की घोषणा करने से पहले सीएम नीतीश कुमार से मिल भी चुके हैं, ऐसे में अब देखने वाली बात होगी कि नीतीश कुमार मंत्री पद से भी बेदखल करते हैं या फिर कोई नई सियासत शुरू होती है। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा से दो-दो हाथ करते हुए बिहार के पशुपालन और मत्स्य संसाधन मंत्री तथा विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी ने नीतीश कुमार की जमकर सराहना की है। जदयू के लिए प्रचार करने के दौरान मुकेश सहनी ने न केवल दावा किया बल्कि नीतीश कुमार के विकास ‘मॉडल’ को सामाजिक समरसता का वाहक बताते हुए खूब तारीफ की थी। वीआईपी के प्रमुख मुकेश सहनी ने मल्हनी विधानसभा में जनता दल (युनाइटेड) के प्रत्याशी धनंजय सिंह के समर्थन में प्रचार कर भाजपा को झटका दिया था।
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