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बरसाने में आयो गिरधारी

बरसाने में आयो गिरधारी

-मनोज मिश्र

बरसाने में आयो गिरधारी, लिए रंग भरी पिचकारी।
खोज खोज ढूंढे कुंज गलियन में, कहाँ है राधा प्यारी।।
गुलाल उड़े अबीर उड़े, हो रही रंगों की चित्रकारी। 
हाथ जोड़ सखियां करें विनती पर माने नहीं त्रिपुरारी।।
चली गोपियन की टोली भी, लिए रंग अबीर भारी।
अब छुपने की आ गई देखो नटवर नागर की बारी।।
तुम्हरे रंग में रंगी है राधा अब जानत यह दुनिया सारी।
आओ मधुसूदन संग खेलो होरी शरण तेरे हम गोवर्धन धारी।।
हे मुरलीधर हे गोपीश्वर रंग दो अंतर्मन की फुलवारी।
तुम सम कौन दीन हित पालक प्रभु मेरे जगत मुरारी।।
जहां तुम हो सब रंग वहीं हैं कैसी ये लीला न्यारी।
हे नंद नंदन हे नारान्तक चैतन्य प्रभु मैँ आया शरण तिहारी।।
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