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दो आने की चिट्ठी

दो आने की चिट्ठी 

दो आने की चिट्ठी का, माना दौर पुराना है,
मगर सुनहरी यादों का, उसमें भरा खजाना है।
अम्मा लिखती नानी को, हाल सुना दो गांव का,
सखी सहेली कौन गांव में, किसका आना जाना है।
चिट्ठी आती बिटिया की जब, सारा गांव झूमता था,
दो आने की चिट्ठी में, कौन छिपा नजराना है?
जब जब बिटिया आती याद, नानी चिट्ठी पढ लेती,
नानी नाना को समझाती, खत में क्या अफसाना है।
दो आने की चिट्ठी ने, यादों को आज कुरेदा है,
चिट्ठी लिखी थी प्रेयसी को, किस्सा बहुत पुराना है।

अ कीर्ति वर्द्धन
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