8 राज्यों के हिंदुओं को ‘अल्पसंख्यक का दर्जा’ देने के स्थान पर भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ घोषित करें ! *- श्री. रमेश शिंदे

श्री शिंदे ने आगे कहा* कि, अल्पसंख्यक होने की मांग करने पर हिन्दू पुनः ‘हिन्दू राष्ट्र’ की मांग नहीं कर पाएंगे । क्योंकि अल्पसंख्यक समाज की बात कौन मानेगा ? इंग्लैंड में ऊपरी सभागृह में 22 बिशप बैठते हैं । वे उनके धर्म के विरोध में एक भी कानून नहीं बनने देते । प्रत्येक देश बहुसंख्यकों का हित देखता है; परंतु भारत में ‘सेक्युलर’ शब्द लाकर बहुसंख्यक हिन्दुओं के सर्व अधिकार छीन लिए गए हैं । इस समय सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता अश्विनी *उपाध्याय ने कहा कि, पाकिस्तान, बांग्लादेश इन मुस्लिम देशों में ‘शरीया’ कानून के अनुसार सर्व कारोबार चलता है और वहां हिन्दू, सिखों की जनसंख्या घटती जा रही है । वहां हिंदुओं को अल्पसंख्यक दर्जा मिलना चाहिए । इसके विपरीत भारत ‘सेक्युलर’ घोषित होते हुए भी केवल मुसलमान, ईसाइयों को ही अल्पसंख्यक होने का दर्जा क्यों ? वर्ष 2002 में सर्वोच्च न्यायालय के एक निर्णय में कहा गया है कि, राष्ट्रीय स्तर पर कोई बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक नहीं होगा । भारत में जो समुदाय साधारणत: 200 सांसद, एक हजार विधायक और 5 हजार स्थानीय जनप्रतिनिधि चुनकर ला सकता है, वह समुदाय अल्पसंख्यक कैसे हो सकता है ? सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता उमेश शर्मा ने कहा कि, मुसलमान और ईसाइयों को अल्पसंख्यक कहकर विशेष सुविधाएं देकर हिन्दुओं के साथ विश्वासघात किया जा रहा है । अल्पसंख्यक दर्जा मुसलमानों के तुष्टीकरण के लिए है । संविधान के अनुच्छेद 14 के अनुसार सभी को समान अधिकार होने के कारण विशिष्ट समुदाय को विशेष सुविधा देना बंद करना चाहिए ।
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