गिरिजा टिक्कू
उषा किरण श्रीवास्तव
गिरिजा टिक्कू तुम्हें प्रणाम
तू ने भारत की ऑखे खोली
जन-जन में सुलगी चिन्गारी
अब फूट रहा ज्वाला से आग।
गिरिजा टिक्कू,,,,,,,,,,,,,,,,,
चित्कार उठा तेरे हृदय से
ब्रहमांड में फैल रहा अब
दर्द उठा जब दरिन्दगी का
कांप उठा तब हिन्दुस्तान।
गिरिजा टिक्कू,,,, ,,,,,,,,,,
भारत माता भी रोई थीं
तेरे कारुणिक क्रन्दन से
वो ऑंसू अंगार बन गया
दहक रहा है स्वाभिमान।
गिरिजा टिक्कू,,,,,,,,,,,,,
माँ बहनों ने ठान लिया अब
भुजा भाई का फडक रहा
माफी नहीं बदला चाहिए
माँग रहा है अब वर्तमान
गिरिजा टिक्कू,,,,,,,,,,,
मुजफ्फरपुर, बिहार।
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