मन तो अहंकार का
बुनता है ताना -बाना
जिसमें नहीं मिलेगा कोई
जाना-पहचाना
टूटे बिखरे बिखरे से
ननसूवों के पन्ने
बात बात मे आपस में ही
लग जाते भिड़नै
सोने का मूल्यांकन मानो
पीतल का गहना।
अहंकार के थैले में
गुस्स गुर्राता है
शीतलता का चित्र न तब
मन को ही भाता है
भले हानि अपनी हो ले
हो ले रोना धोना।
दंभु के आचरण पृष्ठ पर
कालनेमि होता
कानों से अनुकूल प्रशंसा
है केवल सीनता
शिलाखण्ड सी प्रक्षेपित बातें
करतीं टोना।
रामकृष्णहमारे खबरों को शेयर करना न भूलें|
हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews
https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com