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जहाँगीरपुरी दंगे और न्यायिक दखलंदाजी

जहाँगीरपुरी दंगे और न्यायिक दखलंदाजी मनोज मिश्र

लिखना जितना कठिन है इस लेख को छपवाना शायद उससे भी दुश्कर होगा।
मीलॉर्ड सोचना तो आपको भी पड़ेगा। आखिर आप समाज को संदेश क्या देना चाहते हैं।
जहाँगीरपुरी में MCD द्वारा अतिक्रमण हटाने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल करने पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने तुरत फुरत कार्यवाही करते हुए यथास्थिति बनाये रक्खने के आदेश दे दिए गए हालांकि ये उनके कार्यक्षेत्र का मामला नहीं था इसके लिए आवेदक को निचली अदालत म3 जाना चाहिए था परंतु सर्वोच्च न्यायालय ने अपने विषेशाधिकार का प्रयोग करते हुए स्थगन आदेश दे दिया। जिस कार्यवाही का आम जनता ने स्वागत किया जिसने जख्मी लोगों के घावों पर मरहम रखने का काम किया उसे ही रोक दिया। माननीय न्यायाधीशों की नज़रों में हनुमान जन्मोत्सव पर निकले इस शोभा यात्रा पर हुए हमले में मृत युवक गोपाल और अपनी जिंदगी मौत से जूझ रहे शिवम की जान की कोई कीमत नही थी। पूरी अनधिकृत कॉलोनी के घरों की छतों से पत्थर और पेट्रोल बम फेंके गए इसे नज़रंदाज़ कर दिया गया। मिलोर्ड टीवी नही देखते, अखबार नहीं पढ़ते शायद अलजजीरा देखते हों या द डौन पाकिस्तानी अखबार पढ़ते हों जहां ये खबरें आती ही नहीं या आती भी हैं तो इस तरह मानों देश के बहुसंख्यक अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करते हैं।अतः 10.52 पर सुनवाई शुरू हुई 11.01 पर स्टे दे दिया गया, यानी मात्र 9 मिनट में। जबकि भगवान राम के केस से सुनवाई ही 70 वर्ष चली। मीलॉर्ड आपको क्या लगता है देश की जनता बेवकूफ है अंधी है उसे नज़र नही आता। सोचना तो आपको भी पड़ेगा कि आप कब तक अपने हमप्याला हमनिवाला को उपकृत करते रहेंगे। देश में 4.5 करोड़ मामले अदालतों में लंबित हैं अकेले सुप्रीम कोर्ट में 70 हज़ार से ज्यादा वाद लंबित हैं पर आप सुनवाई जहाँगीरपुरी डिमोलिशन की करते हैं। सिर्फ इसलिए कि वो रोहिंगिया मुसलमान और बाँगलादेशी मुसलमानों की अवैध बस्ती को हटाने का है। आप का संस्थान इस देश के कानूनी नागरिकों के लिए संविधान ने बनाया था और सोचिए आप क्या कर रहे हैं। मीलॉर्ड सोचना तो आपको भी पड़ेगा कि आप लोग समाज को संदेश क्या दे रहे हैं।
शाहीन बाग तो याद ही होगा किस प्रकार आपने सरकार के हाथ बांध दिए थे कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन है। भले ही उस रोड से गुजरने वाले लोगों के मानवाधिकार, रोजगार और जीने के अधिकार का हनन हो रहा था। आपके लिए आपकी मुस्लिम परस्त सोच बड़ी थी। कार्यपालिका की कार्यवाही में आपका दखल भले ही देश को विनाश के कगार पर ले जाये आपको फर्क नहीं पड़ता। आखिर आप समाज को संदेश क्या देना चाहते हैं।
कोई भी अपराधी राजनेता पकड़ा जाता है तुरंत तबियत खराब का बहाना बना कर अस्पताल में भरती हो जाता है आपको घंटा फर्क नहीं पड़ता, आप ए राजा सोनिया गांधी राहुलगांधी चिदंबरम सभी को तारीख पर तारीख देते रहते हैं और वो आज़ादी से इसी देश में कानून का मखौल बना कर घूमते रहते हैं। आपको फर्क ही नहीं पड़ता। आखिर आप समाज को संदेश क्या देना चाहते हैं।
राणा अय्यूब नाम की नफरत फैलाने वाली पत्रकार को आगे बढ़कर देश छोड़ने की अनुमति दे देते हैं क्योंकि उसने कोई छोटा मोटा यही कोई 10-12 करोड़ का फ्रॉड किया था। आपकी नजर में ये कोई बड़ी रकम नहीं थी। अगर एक दोबारा पत्नी किसी बाहरी के साथ सो आये तो कोई बात बहिन इसे एडल्ट्री नहीं मान जाएगा। कितनी मिसाल दूँ। आखिर आप समाज को संदेश क्या देना व्हहते हैं।
बंगाल में चुनाव के बाद भयानक हिंसा हुई हिन्दू डर के मारे असम और त्रिपुरा भाग गए। एक राजनीतिक दल को वोट देने वाले वोटरों को जान से मारा जाने लगा उनकी औरतों के साथ बलात्कार दिन के उजाले में किया गया। आपको कोई फर्क नहीं पड़ा। आपके जजों ने डर के मारे सुनवाई से इनकार कर दिया। ये डर था किससे? आप समाज को आखिर संदेश क्या देना चाहते हैं। मीलॉर्ड सोचना तो आपको भी पड़ेगा।
देश की जनता देख रही है और क्षुब्ध है कि जब भी, जहां भी देश विरोधी ताकतें सक्रिय होती है आप उन्हें मदद करने पहुंच जाते हैं। सोचना तो आपको भी पड़ेगा।
पालघर के साधुओं को पुलिस ने खुद दंगाइयों के हवाले कर दिया सारे देश ने देखा पर आपको नहीं दिखा। एक तबरेज जो मोटरसायकिल चोर था लोगों(?) की पिटाई से मारा गया। याद कीजिये वह उस पिटाई के 7 दिन बाद मरा था पर आपको दर्द हुआ। हज़ारों हिन्दू बेटियों को उनके मुसलमान दोस्त या पति गलाकाट कर मार कर संदूक में बंद कर देते हैं आपको कुछ नहीं दिखता। अगर कोई शिवम, हर्षा या दिलबर नेगी, डॉ नागर आपकी नाक के नीचे दिल्ली में ही धर्म विशेष के दंगाइयों द्वारा मार दिया जाता है तो आपकी निगाह उस ओर जाती तक नहीं। हाँ किसी आतंकवादी अफ़ज़ल गुरु के लिए आप रात में 12 बजे कोर्ट खोलकर बैठ जाते हैं ऐसा तो धंधा करने वाली भी नहीं करती। पर आप को फर्क नहीं पड़ता।आखिर आप समाज को खासकर हिंदुओं को संदेश क्या देना चाहते हैं।
केरल में, तमिल नाडु में, तेलगाना में आंध्र प्रदेश में रोज हिन्दू प्रचारकों पर हमले होते हैं पर आपका दिल सिर्फ पहलू खान के लिए धड़कता है। वही जिसके घर से बीफ बरामद हुआ था। वही बीफ जो उत्तर प्रदेश में बैन है। आखिर आप समाज को संदेश क्या देना चाहते हैं। मीलॉर्ड सोचना तो आपको भी पड़ेगा।
देश की राजधानी पूरे एक साल तक तथाकथित किसानों की बंधक थी आपने कृषि कानूनों की समीक्षा के लिए कमिटि बनाई पर उसकी रिपोर्ट पर 9 महीने कुंडली मार कर बैठे रहे क्योंकि रिपोर्ट आपके मनोनुकूल नहीं थी। लोगों को परेशानी थी आप प्रसन्न थे क्योंकि इससे सरकार की फजीहत होती थी। ऐसा तो राजनीतिक दल करते हैं। अपने इन क्रियाकलापों से आप आखिर क्या संदेश दे रहे हैं। सरकार NJAC लेकर आई पर आपने मना कर दिया आपकी नजर में जिसे आप चुनेंगे वही सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट में जज बनेगा कोई पारदर्शिता नहीं होनी चाहिए किसी योग्यता को स्थान नहीं मिलना चाहिए। आखिर आप समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं।
आपने इसके पूर्व भी सरकार के भूमि अधिग्रहण कानून को रद्द कर दिया था। आखिर विधायिका से ये टकराव क्यों। ये आपकी रीढ़ की हड्डी तब कहाँ चली जाती है जब मामला कांग्रेस का कांग्रेस शाषित प्रदेशों में हो रहे मनमाने निर्णयों का होता है। कंगना रनौत का मकान तोड़ दिया सरकार की शासक पार्टी के मुखपत्र ने लिखा - उखाड़ दिया। आपको कोई फर्क नहीं पड़ा। आखिर आपको दर्द किस बात का है। आखिर आप समाज को संदेश क्या देना चाहते हैं। मीलॉर्ड सोचना तो आपको भी पड़ेगा।
कहीं ऐसा न हों कि आपको जान विप्लव का सामना करना पड़े। इस लेख का उद्देश्य आपको आपके कर्तव्यों की याद दिलाना भर है कहा भी गया है - निंदक नियरे राखिए आंगन कुटी छवाय, बिन साबुन पानी बिना निर्मल करे सुभाय।मीलॉर्ड सोचना तो आपको भी पड़ेगा।
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