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विजयी भव का आशीष देकर गये शाह

विजयी भव का आशीष देकर गये शाह

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
विधानसभा चुनाव की तैयारियां मध्य प्रदेश में भी हो रही हैं। शिवराज सिंह चैहान ने वहां कमलनाथ से सरकार छीन ली थी लेकिन अब उसे बरकरार कैसे रखा जाएगा, इसका मंत्र केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह दे गये हैं। यह भी बताया जाता है कि अमित शाह ने शिवराज सिंह चैहान को विजयी भव का आशीर्वाद भी दिया है। इसका यह मतलब निकाला जा रहा है कि राज्य में भाजपा की सरकार बनने पर चैहान ही मुख्यमंत्री बनाए जाएंगे। अमित शाह की रैली में इसीलिए भाजपा ने कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी थी। इस रोड शो में कश्मीरी पंडितों को विशेष रूप से बुलाया गया था क्योंकि फिल्म कश्मीर फाइल्स के बाद कश्मीरी पंडित भाजपा से ज्यादा उम्मीद जता रहे हैं। द कश्मीर फाइल्स रिलीज के बाद कश्मीरी पंडितों का मुद्दा गरम है। भाजपा और कांग्रेस इस मुद्दे पर आमने-सामने भी हैं। उधर, कांग्रेस भी भाजपा को दुबारा सत्ता में आने से रोकने की पूरी तैयारी कर रही है। भोपाल में अमित शाह के रोड शो के दिन ही रतलाम में कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बड़ी रैली की थी। इस रैली को सरकार के प्रति जनाक्रोश रैली का नाम दिया गया।
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले अमित शाह ने पार्टी नेताओं को बूस्टर डोज इस रणनीति के तहत बीजेपी प्रदेश में बूथ से लेकर प्रदेश स्तर के कार्यक्रमों के सहारे खुद का विस्तार करने में लगी है। उससे साफ है कि 2018 के नतीजों में कांग्रेस से पिछड़ी बीजेपी अब अगले चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के साथ आगे बढ़ने की कोशिश में है और इसमें अमित शाह का बड़ा रोल होगा। अमित शाह जो नए कार्यक्रम जोड़े गए हैं वह इस बात का संकेत हैं कि बीजेपी मिशन 2023 का आगाज कर रही है। अमित शाह का दौरा सियासी मायनों में बेहद महत्वपूर्ण है। केंद्रीय गृहमंत्री ऐसे समय में भोपाल आए जब प्रदेश में चुनावों का सिलसिला शुरू होने वाला है। पंचायत, नगरीय निकाय और विधानसभा चुनाव सब होना हैं। बीजेपी इलेक्शन मोड पर आ चुकी है इसलिए पार्टी की तैयारियों से लेकर बड़े वोट बैंक को साधने के लिए अमित शाह का यह दौरा रखा गया।
माना जा रहा है कि कभी कांग्रेस का बड़ा वोट बैंक रहे दलित, आदिवासियों में बीजेपी अपनी पैठ लगातार मजबूत करने में लगी है। बीजेपी वन विभाग के बड़े आयोजन के सहारे खुद की जड़ें जमा रही है। भोपाल के जंबूरी मैदान में भले ही सरकारी आयोजन हो लेकिन प्रदेश के लाखों लाख तेंदूपत्ता संग्राहक को बोनस देने, वन ग्राम को राजस्व ग्राम घोषित करने समेत वनवासियों के अधिकारों में वृद्धि का ऐलान कर अमित शाह प्रदेश की सबसे बड़ी दलित आदिवासी आबादी को साधने की तैयारी में हैं।
अमित शाह के भोपाल दौरे से कांग्रेस के अंदर भी हलचल तेज हुई। एक दिन पहले कमलनाथ ने पार्टी के 5 बड़े नेताओं के साथ बैठक कर खुद को एकजुट कर अमित शाह का काउंटर करने के प्लान पर चर्चा की है। कांग्रेस को पता है कि यदि एमपी में 2018 के नतीजों को दौहराना है तो बेहतर रणनीति और मजबूत प्लान तैयार करना होगा। यही कारण है कि कमलनाथ ने पार्टी के पुराने सीनियर लीडर दिग्विजय सिंह, सुरेश पचैरी, कांतिलाल भूरिया, अजय सिंह, अरुण यादव को एक साथ लाते हुए पार्टी के फ्यूचर प्लान पर मंथन तेज कर दिया है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के 22 अप्रैल को भोपाल दौरे के लिए बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। खास तैयारी उनके रोड शो के लिए थी। उनके स्वागत में किसी तरह की कोई कमी न रह जाए इसलिए संगठन से लेकर सरकार स्तर तक तैयारी की गयी। रोड शो के दौरान यहां रह रहे कश्मीरी पंडित भी शाह का स्वागत करने पहुंचे।
प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने दौरे से ठीक पहले भोपाल में रह रहे कश्मीरी पंडितों के साथ बैठक की। इस बैठक में रोड शो के दौरान अमित शाह का स्वागत करने के लिए रणनीति बनाई गई। फिल्म द कश्मीर फाइल्स के रिलीज के बाद से कश्मीरी पंडितों का मुद्दा गरम रहा है। बीजेपी और कांग्रेस कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार को लेकर आमने सामने आ चुकी हैं।
उधर, रतलाम में 22 अप्रैल को पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस नेता कमलनाथ की बड़ी रैली हुई। यह रैली 2023 के चुनावी शंखनाद का मध्यप्रदेश में आगाज भी माना जा रहा है। रैली करने को लेकर बीजेपी कांग्रेस पर तंज कस रही है। जनआक्रोश रैली में कांग्रेस ने 40 हजार की संख्या में भीड़ जुटाने का दावा किया, तो इसे भाजपा ने हास्यास्पद बता दिया। बीजेपी ने कहा कि कांग्रेस का सभा पंडाल ही 10 हजार की क्षमता का है। उसमें भी कमलनाथ के आने की खबर मिलते ही कांग्रेस में इस्तीफों का दौर शुरू हो गया है।
जन आक्रोश रैली की रतलाम से शुरुआत करना भी हर किसी के लिए सोच से परे है। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर प्रदेश में कमलनाथ ने भाजपा के खिलाफ जनआक्रोश रैली की शुरुआत के लिए रतलाम को क्यों चुना है। उधर, कांग्रेस इन सवालों को दरकिनार कर तैयारियों में लगी है। बीजेपी के जिला महामंत्री प्रदीप उपाध्याय का कहना है कांग्रेस पूरी तरह खत्म हो चुकी है। मध्यप्रदेश में अगले साल 2023 में विधानसभा के चुनाव होने है। ऐसे में चुनाव से पहले कांग्रेस के कमलनाथ ऐसी कोई गलती नहीं करना चाहते जिनसे उनपर सवाल उठने लग जाएं। प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ कांग्रेस नेताओं के बीच तालमेल बैठाने की कोशिश में जुट गए हैं। इसके लिए कमलनाथ ने 20 अप्रैल को कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं को डिनर पर बुलाया था। इस डिनर पार्टी में राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा को भी बुलाया गया। इसके अलावा दिग्विजय सिंह, अरुण यादव, कांतिलाल भूरिया, सुरेश पचैरी भी इसमें शामिल हुए। दरअसल कमलनाथ मिशन 2023 की तैयारियों में जुट गए हैं। पिछले दिनों हुई बैठक में सर्वसम्मति से कांग्रेस के मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में कमलनाथ पर मुहर भी लगा दी गयी। अब कार्यकर्ताओं के बीच जमीनी स्तर तक समन्वय स्थापित करने की कोशिश में कमलनाथ जुट गए हैं, ताकि चुनाव के समय नेताओं के बीच समन्वय की चिंता से न जूझना पड़े। इसके साथ ही कांग्रेस नेताओं के बीच तालमेल बैठाने की कोशिश में जुट गए हैं। इसी कड़ी में उनके द्वारा करवाए गए सर्वे ने कमलनाथ की चिंता बढ़ा दी है। सर्वे में कमजोर प्रदर्शन करने वाले लगभग दो दर्जन विधायकों का नाम सामने आया है। सभी को कमलनाथ ने चेतावनी जारी की है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद अब कमलनाथ के सामने समस्या काफी बड़ी है।
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