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हिन्दुओं को अपने देश हिंदुस्तान में ।

हिन्दुओं को अपने देश हिंदुस्तान में ।

अशोक प्रवृद्ध

हिन्दुओं को अपने देश हिंदुस्तान में ।
देना पड़ता जुर्माना स्वधर्म आदान में ।।
शिवाजी की जन्मभूमि महाराष्ट्र से ।
श्री हनुमान चालीसा की पाठ से ।।
स्वतंत्र भारत में यह जुर्माना कटा ।
विधर्मियों से यह सम्पूर्ण देश अटा ।।
यह कैसी विडम्बना कैसी अवधारणा ?
क्या हम न करें ईश्वरोपासना आराधना ??
हिन्दू किस पापकर्म का फल भोग रहे ।
अपने देश में ही किस कर्म के योग रहे।।
विधर्मी भोंपू से पांच बार एलान करते ।
फिर भी हिन्दू घर दुबक कर रहते ।।
नहीं खौलता खून विधर्मी की ललकार से ।
यह कैसी नपुंसकता धर्म की पुकार से ।।
जागो जागो हिन्दुओं आँख खोल लो।
मिट जाओगे एक दिन गाँठ बाँध लो ।।
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