बेटी की विदाई
बेटी की विदाई क्या होती है
एक बाप से पूछो ।
शान ए घर की विदाई क्या होती है
एक माँ से पूछो।
साथ खड़ी रहने वाली की जुदाई
क्या होती है परिवार वालो से पूछो।
दादादादी भाईबहिन और दोस्तों से
बिछड़ना क्या होता है बेटी से पूछो।।
बेटी क्यों प्यारी होती है माँ बाप को
वो ही बता सकते है जिनकी बेटी है।
हर बात को आसानी से समझती है
तभी तो घर की शान कहलाती है।
खुद के दुख दर्द को छुपाकर
सभी के साथ खड़ी हो जाती है।
ये सब कुछ बेटी ही करती है
इसलिए परिवार का मान बढ़ती है।।
बंद कर दो अब तो लोगों
भेदभाव लड़का लड़की में करना।
अगर लड़के को हीरा कहते हो
तो लड़की भी मोती होती है।
ये बात अपने दिल से तुम
आज के युग को देखकर सोचो।
बेटीयां ज्यादा पढ़ी लिखी और
समझदार है बेटो की अपेक्षा।।
इसलिए बाबूल कहता है की
बेटी ह्रदय की धड़कन होती है।
जो अनादिकाल से अपना धर्म
बिना स्वार्थ के निभाए जा रही है।
और दो कुलो का मान सम्मान
अपने कामों से बढ़ाती है।
बेटी होते हुये भी वो बेटा
बनकर अपना धर्म निभा रही है।।
जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई
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