ऊंचे आसन सजा दरबार
सज गया ऊंचे आसन, माता सुंदर दरबार तेरा।
शब्द मोती चुनकर लाया, करना बेड़ा पार मेरा।
विंध्यवासिनी कमल नयनी, पद्मासना महागौरी।
कात्यायनी कुष्मांडा, सिंह सवार माता गौरी।
कालरात्रि जय महाकाली, खड्ग खप्पर वाली।
रक्तबीज को भस्म किया, बनकर काली कंकाली।
चंड मुंड महिषासुर मारे, शुंभ निशुंभ खत्म किये।
भक्तों पे करो कृपा मां, भाव सुमन हाथ लिये।
जय पराक्रम यशदात्री, सुख समृद्धि भंडार भरो।
ज्योतिर्मय आलोक भरो, भक्तों पे उपकार करो।
साधक भाव भक्ति से, भजन तिहारे गाता है।
मधुर भाव लेकर लड़िया, शब्द सुमन चढ़ाता है।
शक्ति स्वरूपा रूप अनूपा, जग वंदन जय जननी।
दुखहर्ता मां जगदंबा, सुख वैभव मंगल करणी।
रमाकांत सोनी नवलगढ़
जिला झुंझुनू राजस्थान
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