द्वार जोहता बाट तुम्हारी अबकी आओ तो।
आंगन की तुलसी चौरा की
हरियाली वैसी
नानक के पुनीत उपदैशों की
आभा जैसी
और कबीरा राग तुम्हारा
साखी गाओ तो।
घंटे की धड़कन में
श्रवणामृत शाश्वत रहता
पंचपात्र का तीरथ भी
चरणामृत मधु देता
सच्ची वैज्ञानिकी दिशाएँ
जरा सजाओ तो।
आसमान में अब भी
गंधिल धूप धुआँ वैसा
उठता है, मंदिर का
प्रांगण और कुआँ जैसा
बुला रहा है आओ
रम्य बनाओ तो। रामकृष्ण
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com