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शून्य और पाई के जनक है आर्यभट्ट

शून्य और पाई के  जनक है आर्यभट्ट

जहानाबाद । सच्चिदानंद शिक्षा एवं समाज कल्याण संस्थान की ओर से महान खगोल शास्त्र के ज्ञाता आर्यभट्ट की जयंती समारोह के अवसर पर भारतीय विरासत संगठन के अध्यक्ष साहित्यकार व इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक ने कहा कि खगोल विद आर्यभट्ट द्वारा पांचवी सदी में गणितीय और खगोलीय ज्ञान को प्रथम बार चरणबद्ध तरीके से, किसी एक जगह एकत्रित 23 वर्ष की उम्र में किया गया था । आर्यभट्ट ने इस्लामी खगोल वैज्ञानियों और गणितज्ञों को प्रभावित किया। आर्यभट्ट का जन्म बिहार की राजधानी पटना गंगा के किनारे स्थित कुसुमपुर में चैत्र शुक्ल त्रयोदशी शक संबत विराम संबत 533 आँग्ल संबत 476 ई. को गुप्त काल विक्रमादित्य द्वितीय काल में हुआ था । आर्यभट्ट द्वारा नालंदा विश्वविद्यालय को कर्मक्षेत्र में गणितज्ञ , खगोल शास्त्री और ज्योतिषविद के रूप में विश्व को शून्य तथा पाई , ग्रहों की जानकारी दी गयी थी । आर्यभट्ट सिद्धांत, दशगीतिका, तंत्र व आर्यभटीय का सिद्धांत में पाई व शून्य का जनक हुए थे । सन 476 ईसवी में जन्में आर्यभट्ट स्वतंत्र चिंतक, प्रखर वैज्ञानिक एवं मेधावी गणितज्ञ थे। आर्यभट्ट ने प्रयोगों द्वारा सिद्ध किया कि पृथ्वी घूमती और सूर्य स्थिर है। बाद, उन्होंने अपनी ही कही बात को संशोधित किया। फिर कहा कि शनि के 7 उपग्रह हैं। जो आज भी सार्वभौमिक सत्य है। यहां पर एक बात समझने वाली है। कि शनि के 7 उपग्रह को खोज लेना। बिना दूरबीन के कैसे संभव हुआ होगा। इसका तो सवाल ही नहीं उठता। आर्यभट्ट ने सबसे पहले दुनिया को बताया कि इस सौरमंडल में सूरज स्थित और स्थिर है। पृथ्वी एक जगह स्थित नहीं है। यह सूर्य के चारों तरफ घूम रही है। वह अपने अक्ष पर भी घूम रही है। यह सबसे पहले ऋषि आर्यभट्ट ने सारी दुनिया को बताया था । सूर्य के बारे में, चंद्रमा के गणनाओ के बारे में आर्यभट्ट ने दुनिया को ग्रहों के आधार पर पंचांग विकसित हुआ। आर्यभट्ट ने सूर्य और अन्य ग्रहों का अध्ययन में पृथ्वी अपनी धुरी पर भी घूम रही और सूर्य के चारों ओर अपनी धुरी पर घूमने के आधार पर, दिन और रात होते हैं। दिन और रात की अवधि की गणना के आधार पर, 7 दिन निर्धारित किए। सोमवार, मंगलवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार, शनिवार, रविवार किया है। आर्यभट्ट द्वारा रचित कार्यों की जानकारी, उनके द्वारा रचित ग्रंथों से मिलती है। इस महान गणितज्ञ ने आर्यभट्टीय, दशगीतिका, तंत्र, आर्यभट्ट सिद्धांत जैसे ग्रंथों की रचना की है। आर्यभट्ट ने बीजगणित तथा त्रिकोणमितीय , अंकगणितीय का प्रयोग पुस्तक आर्यभटीय, खगोल शास्त्र और गोलीय त्रिकोणमिति के संदर्भ में जानकारी देती है। इस अवसर पर पी. एन बी .के सेवानिवृत पदाधिकारी साहित्यकार सत्येन्द्र कुमार सिंह , रामविनय सिंह , एस. इस. कॉलेज जहानाबाद के प्रो. उर्वशी कुमारी , प्रियंका , अप्पू आर्ट्स के निदेशक अजयकुमार विश्वकर्मा , आंसू कवि चितरंजन चैनपूरा आदि ने अपने अपने विचार दिए ।
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