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बुजुर्गों का सम्मान

 बुजुर्गों का सम्मान

वट वृक्ष की भांति देते, 
घर को ठंडी छांव, 
बुजुर्गों का आशीष पाओ, 
छूकर इनके पांव। 

ज्ञान भरा समंदर है, 
अनुभवों का खजाना, 
राह सही दिखला देते, 
किस पथ तुमको जाना। 

स्नेह के मोती लुटाते, 
सिखलाते संस्कार जो, 
घर की अमूल्य धरोहर है, 
प्यार भरा संसार वो। 

जिस बगीया को प्रेम से सींचा, 
वो माली क्यों दूर रहे, 
क्यों उपेक्षित कर दिया उनको,
आज क्यों वे मजबूर रहे।

बहाते सदा स्नेह की गंगा, 
जगाते हमारा आत्मविश्वास है,
बुजुर्ग परिवार का गौरव है, 
हम सबके प्रिय खास है।

बुजुर्ग घर का अभिमान है, 
हम सब का स्वाभिमान है, 
आदर्शों को मानकर करो, 
घर के बुजुर्गों का सम्मान है।
रमाकांत सोनी 
नवलगढ़ 
जिला झुंझुनू राजस्थान 
रचना स्वरचित व मौलिक है

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