मंगरू बाबा के दलान
गाँव मे आझ कल खेती किसानी के माने मतलब उ लोग से जुड्ल हे जिनका अप्पन खेत हे भले उहर के लगना पर कहिओ हाथ न धरलन होए ,
ई सब किसान अब सरकारी रैयत कहा हथ, एकरे मे जिनका पास गाँव भर में सबसे जादे जोत जमीन हे उन्हखा जेठरैयत के तगमा मिल जा हे
सिरपत भी अपन गांँव का जेवारो मे जेठरैयते हलन
सवा बीघा के वकास्त खेत कोई के न हल
,ई बात दीगर हे कि अपन गोतिया लोग के हिस्सा हाथमें पीपर के डौंघी लेके किरिआ खाके हड़प गेलन हल। कहल जाहे कि गरीब के हाय पड़े मे दिन लग सकऽ हे बाकी खाली न जाए।
उनका सरग सिधारला के बाद ऊ बड़का घर में दूइए गो मरद रहलन , बेटा रूदर नाथ मिसिर उर्फ मंगरू बाबा आउ पोता बजनाथ मिसिर बस। बेजनाथ मिसिर के बिआह खूब उचावे मड़ावे भेल, बड़ी बरस के मान मनौती से एगो लछमी अँगना में उतरलन ,आगे कुछ न।
मंगरू बाबा के घर आधा बीघा के एराजी से कम नऽ हल इन
जेकरा में सवा कट्ठा के तो आधंगने हल,,डेउढ़ी ,दलान आउ ओके सामने सहन जेकरा मेंखरिहान नेवारी गाँज ,रवि के दमाई मैसाई सब काम होबे आउ दलाने पर बइठल देखल जा हल।
अइसे तो गाँव में सब के दूरा रहवे करऽ हे त एतना लमहर कोई के न। दलान के मतलब गाहे व गाहे अगर बरात के हे के होए त आराम से दरी ,जाजिम सफेदा मसनद बिछा के पचास आदमी के सुतावल जा सके। से अइसने हल उ दलान जेकरा में एगो पलंग आउ चारगो चौकी हमेसे बिछल रहऽ हल। सब पर बिछौना बिछले रहे जरूरूरी न। लेकिन ई बात भी जानल जाए कि दलान कहिओ कखनिओ बिन अदमी न रहल
ई दलान गाँव के घर फोरवन ,अगलगावन दुसरा के शिकायत,चुगली मेंमहारत हासिल वालन के मुफतिया अड्डा बनल हल। यंगरू बाबा के जजमनका भी आसपास के छौ सात गाॄव में हलइन त जब जजमान में जाथ तखनिओ दलान पर कोइ न कोइ तो रहवे करे बलिक बाबा जब परसादी ले के आवथ तो पहिल बँटाई दलनिया अमदी में हो जाए तब घरे भीतर रहे वालन के पइठ होए।
गरमी होए कि बरसात,भले पूस माघ के कनकनी होवे फुरसताह के जमाकड़ा में तनिको कमी न। ई जमाकडा़ मे एक से एक गंजेड़ी, भंगेड़ी,, तास -चौपडिया के जुटान जमल रहऽ हल।
एगो बात आउ मजे दार भेल कि मंगरू बाबा सगुन बिचारे लगलन ,जेकर लोटा भुलाए चाहे बेटा, ,पहुँच जाए दलान पर बाबा के परवचन के साथे झूठो सचो के गप के पतरा खुल जाए,पहिले उहाँ जमल लोग के दही में सही से बिसवाह के सोरह आना जगह छेका जाए।
गाहे व गाहे किरतनियाँ मंडली,,फागुन चढ़ते फगुआ राग के झलपीटन से बर्हमटोली के साथे नउआटोला ,माली टोला गजगजाए लेकिन रात में। लेहाजे केकरो कुछ बोले के हूब न होए ,एतने नऽ दिने सांझे बिन मांगल कचहरिओ नियन ममला सझुरावे के वास्ते बिना फीसे ओकील जज भी बन के तइयार ,भले ओकर फैसला लागू होए चाहे न होए। कने से न कने से एमो आउ तमासा के जड़ी मिल गेलइन मंगरूबाबा के ,उ ई कि अंगुठा मे काजर ला के सगुन करे ला जान गेलन ओकरा कहलन कि ई कजरी प्रष्न हे ,एकरा में मंतर पढ के फोटो निअन देखावे लगलन कि जे समाश इया अदमी भुलायल हे से कहाँ हे। बाकि देखवैया के उमर दस बरस से जादे न होवे के चाही। हला कि एकर दान दछिना के कोई बात न ,सब मुफतिया
कहाउत हे कि जइसन धन ओइसने पठंगा। सान में ,सौख में देखाबे मे कनहूँ से कोई कमी नऽ। नौकर दाई हमेसा लगल रहलन सान सौकत मे सोना उगले वाला खेत गते गते बय होबे लगल,,,खेत बेच बेच के बढ़िआ बढि़आ साड़ी गहना किनाए लगल। दाइओ नौकर अइसन इतरी इतरा कि जइसन साड़ी कनेया के ओइसने दाई के भी मिले के चही। ई तरह से लगभग सब जमीन बीका गेल रह गेल बाकी घर-दलान।
ज़ इसे ज इसे धन निघटे लगल ओसहीं दलान के बैठकी भी उपहे लगल बाबा के मरला के बाद त सीधा वबौध बैंनाथ तो जजमनिका पर केतना रहतन हल से उन्हकर दमाद अपन उठानी से खेत खरीदे लगलन,अउ इहें रहहूँ लगलन।
दलान के सूरत सीरत बदले लगल, खैनी से बेसी के वेहवार पर रोक हो गेल ,सब के उमर होबऽ हे ऊहो दूनो परानी चल बसलन बाकि दलान आझो हे उझंख बिरान।
रामकृष्ण
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