विरोधाभास
विरोधाभास जीवन की शैली है,
पक्ष- विपक्ष अजब सी पहेली है।
एक के बिना दूसरा अधूरा,
नमक ही मीठे की सहेली है।
जीवन के बाद मृत्यु आएगी,
झूठ नहीं यह सच की बोली है।
अलग विचार धाराएं रहती एक साथ,
भारतीय संस्कृति विश्व में अकेली है।
वेदों में लिखा- पुराणों ने कहा है,
धरती की कठोरता बरसात में पोली है।
दुष्टता रहती अहंकारी के द्वार सदा,
मानवता का घर भारतीय हवेली है।
अन्धकार के चिर यौवन की पोल,
सूरज की एक किरण ने खोली है।
काली रात बीती रोशन सवेरा हुआ,
काँटों संग महकी फूलों की टोली है।
भारत का यह रूप जगत में अनोखा है,
एकता का प्रतीक रंगों की होली है।
बंजर धरती, सूखे पर्वत, बहती नदियां,
कहीँ वृक्षों ने भर दी धरती की झोली है।
अ कीर्तिवर्धन
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