तन-मन कंचन कैसे होगा
दया क्षमा संस्कार खो रहे
तन मन कंचन कैसे होगा
आचरण दूराचरण हो रहे
निर्मल चंदन कैसे होगा
स्वार्थ में संसार खो हो रहा
अधर्म का राज हो रहा
लूट खसोट निरंतर जारी
शोषण का विस्तार हो रहा
यहां दिखावे की दुनिया का
वंदन बोलो कैसे होगा
घट में ईर्ष्या जब तक रहती
तन मन कंचन कैसे होगा
ऊंच-नीच और भेदभाव है
मद से जहां ढहती मर्यादा
संस्कार विहीन परिवार में
बटवारा हो रहा है ज्यादा
धन के लोभी लोगों में
आदर्श मंचन कैसे होगा
त्याग तपस्या बिना यहां
तन मन कंचन कैसे होगा
जनसेवा में रमे हुए जो
परोपकार अपनाते जीवन में
दीन दुखी की सेवा करते
असीम शांति पाते मन में
लहर प्रेम की बिना बहाए
दुख का भंजन कैसे होगा
विषय विकार मिटाए बिना
तन मन कंचन कैसे होगा
रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थानहमारे खबरों को शेयर करना न भूलें|
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