कृष्ण जन्म
भादों की थी रैन अँधेरी
सोया था सारा संसार।
काराग्रह में जन्म हुआ है
धरती पर आये करतार।।
लाला को लेकर गोदी में
वासुदेव कर रहे विचार।
सहसा टूट गए सब ताले
बेसुध देखे पहरेदार ।।
खुलीं बेड़ियाँ भी पैरों से
दरवाजे खुल गए हजार।
धन्य -धन्य घनश्याम तुम्हारी
महिमा देखी अपरंपार।।
प्रबल वेग से बहती गंगा
आगे पीछे दिखता काल।
मन के भाव समझते मोहन
पैर दिया गंगा में डाल।।
छूकर चरण उतर गई गंगा
गोकुल में आये मनमीत।
घर घर में हो रही बधाई
उमड़ उठी अंतर में प्रीत।।
नंद भवन आनंद भयो अब
हंस हृदय में खुशी अपार।
भू मण्डल का भार हटाने
प्रभु आये लेकर अवतार।।
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