खड़ी करा दी कार मुरारी
~जयराम जय
कैसे हो तुम यार मुरारी
मांग रहे आधार मुरारी
दाना-पानी महंगा करके
खड़ी करा दी कार मुरारी
अच्छा समझा था तुमको
निकले तुम बेकार मुरारी
खा तुम गये सभी का हिस्सा
रोटी व रोज़गार मुरारी
बेंच दिया घरबार पुराने
कितने हो मक्कार मुरारी
मेरा मुझकोअर्पण करके
करते हो उपकार मुरारी
झांसे पर झांसा देने की
हद कर दी है पार मुरारी
जो बोले उसका तिकड़म से
कर देते उद्धार मुरारी
समझ गये 'जय' लोग जहां के
कितने हो गद्दार मुरारी
*
~जयराम जय
पर्णिका'11/1,कृष्ण विहार आवास विकास, कल्याणपुर,कानपुर-208017(उप्र)
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