मिल जाए जो साथ तुम्हारा
मिल जाए जो साथ तुम्हारा गीत तराने गाता रहूं
थोड़ा तुम भी मुस्का दो थोड़ा मैं भी मुस्काता रहूं
मिल जाए जो साथ तुम्हारा
गीतों का गजरा बनो कविता की मधुर फुहार
सांसो की सरगम में आओ भावन बहती बयार
खुशबू हो खिलते चमन की महफिल महकाता रहूं
दिल तक दस्तक दे जाए वो गीत सुहाने गाता रहूं
मिल जाए जो साथ तुम्हारा
प्रीत भरे मधुर सुहाने गीतों की लड़िया सजाता रहूं
प्यारी सी भावन धुन कोई मस्त हो गुनगुनाता रहूं
आओ बैठो पास मेरे दिल के जज्बात सुनाता रहूं
मनमयूरा झूमे नाचे झौंके मस्त पवन के गाता रहूं
मिल जाए जो साथ तुम्हारा
मन मंदिर में दीप जलाऊं रोशन जग मग सारा
प्यार भरे मोती शब्दों के बहती पावन सी धारा
नैया की पतवार बनों में मांझी मन इठलाता रहूं
भाव सिंधु उमड़े हृदय में सुधारस बरसाता रहूं
मिल जाए जो साथ तुम्हारा
तुम कुदरत का हो अजूबा जमाने को जताता रहूं
महकती वादियों में बहारें उन झरनों में नहाता रहूं
झील सी मोहक आंखों में सुंदर नजारे पाता रहूं
दमकता चेहरा तुम्हारा लेखनी ले सजाता रहूं
मिल जाए जो साथ तुम्हारा
रमाकांत सोनी सुंदर सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थानहमारे खबरों को शेयर करना न भूलें|
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