घंटा बजा रहे हैं
----:भारतका एक ब्राह्मण.
संजय कुमार मिश्र 'अणु'
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विगत दिनों एक केस की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय में चल रही थी।केस में समता के अधिकार की बात थी।समान जगह,समान काम,समान कुर्सी तो थी पर वेतन में बडी विसंगति थी।
कुछ अवसरवादी अतिमहत्वाकांक्षी लोगों ने जमानत बनाया।उन लोगों का मकसद था मुद्रा मोचन से अपनी दुकानदारी चलाना और चेहरा चमकाना।लोगों का नाम देकर अपना उल्लू सीधा करना तथा खुब सब्जबाग दिखाना।
समय समय पर वे लोग कभी धारणा,कभी प्रदर्शन तो कभी घेराव आदि का नवटंकी कर लिया करते थे।तथाकथित प्रदर्शन देख जानकर लोग अपनी गाढी कमाई लुटाते।दुनियां में मूर्खों की कमी थोडे है।ये तथाकथित स्वंभू नेता अपना जोगाड फिट करते रहते।
लोगों को न्याय मिलने की उम्मीद दिलाया जाता।खुब कानून बघारे जाते।अपने हक और अधिकार का फलसफा समझाया जाता।मानव मन स्वभावतः आशावादी रहा है इसलिए सब आशा बांधे थे।इस अवसर का लाभ वकील लोग भी खुब उठाये।अपने मुवक्किल को खुब समझते कि भरोसा रखिए आप लोग।हमारे फिस का बस ख्याल रखिए।फिर देखिए की कैसे न्याय नहीं मिलता है।संविधान में समता की बात कही गई है।मौलिक अधिकार है मेरा।बस आप लोग थोडा धैर्य रखें।
न्यायालय में सुनवाई हो रही थी।जो लोग न्यायालय की चौखट भी नहीं लांघ सके वे एकदम लाईव अपडेट दे रहे थे......वकिलों के दलील सुनकर जज साहब मुस्कुरा रहे हैं।सरकारी वकील और पक्षकार के चेहरे लटक गये हैं।न्यायालय की कार्यवाही देख सरकार को लकवा मार गई।हमारे वकील साहब अपनी विद्वता से सभी को चकित किये हुए है आदि आदि।
फैसला आया सरकार के पक्ष में।हम केस हार गये।नेताओं ने अफवाह फैलाई....अब न्याया होता कहाँ है? जिसकी लाठी उसकी भैंस।न्यायालय भी तो सरकार का हीं अंग है।इसलिए फैसला सरकार के पक्ष में होना हीं था।हम लोगों को जो डर था वही हुआ।
इधर वेतन के नाम पर सरकार भी हमेशा ढिंढोरा पीटती रहती है और साथ में संघ,समिति, संगठन वाले भी।अखबार में सुर्खियां बनती है....वेतन मद में राशी स्वीकृत।दशहरा, दीपावली,ईद के मौके पर तोहफा।फलाने पर्व-त्योहार के पूर्व होगा वेतन।जिला से लेकर राज्य के गलियारियों में चहलकदमी शुरू।बयान पर बयान और दफ्तर से पत्र पर पत्र निर्गत।
इस अवसर को भी लोग भुनाने से बाज नहीं आते हैं।ह्वाट्सएप पर वेतन अपडेट आने लगता है।सभी प्रखंड से अनुपस्थिति आ गई है।जिला के पदाधिकारी एकदम सिरीस हैं सब बैंक चला गया है।हमारी बात कार्यालय पदाधिकारी से हुई है।बैंक के मैनेजर से बात किये हैं।वेतन संबंधित सभी कर्मियों से हम लगातार संपर्क में हैं।भरोसा है एक दो दिनों में राशि खाता में चला जाय।
समय बितता जाता है और पर्व त्योहार बिना पैसे का मनता है।किसी तरह उधार से।पर्व त्योहार के ठीक एक दो दिन पूर्व फिर बताया जाता है कि आज बैंक का लिंक फेल रहने के कारण भुगतान न हो पाया।फलाने-फलाने प्रखंड के अनुपस्थिति विवरणी में त्रुटि के कारण वेतन चढना संभव नहीं हो सका है।साथीयों धैर्य रखें।हमारा प्रयास सफल होगा।बैंक में कुछ तकनीकी समस्या चल रही है आदि-आदि।
सरकार, संघ,संगठन, समिति सबके सब बस श्रेय लेने के होड में हैं।कोई भी अभावग्रस्त का दर्द समझने को तैयार नहीं है।ऐसा लगने लगा है की हम मंदिर के घंटा बनकर रह गये हैं।जो भी आता है वह बजाकर चला जाता है।हमारी ऐसी विकट परिस्थिति से किसीको भी घंटा भर फर्क नहीं पडता है।
और हम भी उनके टंटा-घंटा के फेर में पडकर घंटा बजा रहे हैं।
----------------------------------------वलिदाद, अरवल(बिहार)804402.
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