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गलतियों से सीखो

गलतियों से सीखो

लो सबक तुम 
अपनी गलतियों से। 
जिंदगी तुम्हारी निश्चित
सभार जायेगी। 
समझ तुझे अपने 
और पराये आ जायेंगे। 
और जीने का मतलब
तब तुम जान जाओगें।। 

माना की सब को
सब कुछ नहीं मिलता। 
पर जो कुछ भी मिलता
उसमें खुश रहना सीखो। 
ये दुनियां बहुत काँटों से
भरी और सजी है। 
जहाँ सभालकर हमें
चलना पड़ता है।। 

लाख लगा दो पहरे 
अब तुम मेरे ऊपर। 
फिर भी तुम मुझे 
अब नहीं पकड़ पाओगें। 
बोये है जो बीज तुमने
अब उन्हीं का फल पाओगें।
और खुद की जिंदगी को
अब तुम्हीं नरक बना लोगें।। 

अपनो का साथ बना रहे
सिर पर हाथ उनका रहेगा। 
तो तेरी किस्मत बदलते भी
देर नहीं लगेगी।
और इसका आधार 
तेरे संस्कार ही रहेंगे। 
जो तुझे सुख शांति और
अपनो का प्यार देंगे।। 

जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई
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