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जाग-जागकर सारी रातें

जाग-जागकर सारी रातें

:भारतका एक ब्राह्मण.
           संजय कुमार मिश्र 'अणू'
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तेरे सुंदर सपने आते।
      हम हो जाते भव विभोर,
      फैल उठता है नयन कोर,
      मैं हूँ तेरा और तुम मेरी-
      रहता है मन यही गाते।।
तुम हो भोली और प्यारी,
जैसे चंदा की उजियारी,
कहता मन है बलिहारी-
देखा करता आते जाते।।
        दिल में केवल यही चाह,
        हो तेरे संग जीवन निर्वाह,
        तुम जो ऐसा लो सोच प्रिये-
        बन जाये फिर रिश्ते नाते।।
यदि मुझे चाह तुम पाओगी,
अपना सौभाग्य मनाओगी,
मैं देख रहा बस तेरी राह-
और भुल चुका सारी बातें।।
        जीवन का आधार सजाले,
        एक दूजे का प्यार सजा लें,
        तुम को चाहा 'मिश्र अणु' ने-
        जाग-जागकर सारी रातें।।
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वलिदाद,अरवल(बिहार)804402.
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