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हंसना मना है

हंसना मना है

मोबाइल टीवी चलाओ चाहे कूलर की हवा खाओ 
बाहर धूप में मत जाओ सच कहता हूं मान जाओ

हजारों बीमारियां है वातावरण कुछ ऐसा बना है 
मेरी तो बस राय यही समझो देखो हंसना मना है

बैठे-बैठे संगीत सुनलो ताना-बाना कोई बुन लो 
लेखक हो लिखो कविता मनचाहा शीर्षक चुनलो

कलमकार कलम उठाओ लेखनी जो गहना है 
अंतर्मन की पीड़ा लिख दो पीर में हंसना मना है

हो अगर व्यापारी तो खरीद लो दुख दर्द सारे 
प्यार के मोती लुटा दो भेज दो खुशियां हमारे

हानि लाभ जीवन मरण विधि का विधान बना है 
क्या खोया क्या पाया तूमने देख लो हंसना मना है

न्याय की कुर्सी पर बैठे न्यायाधीश कहलाते हो 
जो करतार करे वैसा क्या तुम न्याय कर पाते हो 

अच्छे बुरे सारे कर्मों का लेखा जोखा वहां बना है 
छप्पर फाड़कर वो देता लेकिन वहां हंसना मना है

रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
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