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राष्ट्र-राज्य के हित में फैसले

राष्ट्र-राज्य के हित में फैसले

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
सरकार का दायित्व है कि वो वही कार्य करे जो राष्ट्र और राज्य के हित में हो। इसके लिए कुछ लोग बाधा भी खड़ी करते हैं। राजनीति में विपक्ष का अब यही रवैया रह गया है कि वो सरकार के हर कार्य की आलोचना करे। इसलिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने अभी मदरसों को लेकर जो फैसला लिया है, उसको भी राष्ट्र हित के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। योगी आदित्यनाथ की सरकार ने अब किसी भी नये मदरसों को अनुदान देने पर रोक लगा दी है। शिक्षा किसी भी समाज व राष्ट्र के हित में होती है। समाज के विकास का मापदण्ड शिक्षा के प्रसार से भी आंका जाता है लेकिन शिक्षा की आड़ में यदि भ्रष्टाचार किया जा रहा है तो उस पर तत्काल अंकुश लगाया जाना चाहिए। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने फर्जी मदरसों को रोकने के लिए 2017 में ही मदरसा पोर्टल बनाया था। प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश में 19125 मदरसों में से 16513 इस वेब पोर्टल से जुड़े। इस प्रकार 2612 मदरसे या तो फर्जी हैं अथवा सरकार की बात को नजरंदाज करते हैं। योगी आदित्यनाथ वर्तमान में 7442 मदरसों का आधुनिकीकरण भी कर रही है। इन मदरसों में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू किया गया है। सरकार राज्य के 558 मदरसों को हर साल 666 करोड़ रुपये का अनुदान दे रही है। यहां पर ध्यान देने की बात है कि सरकारी स्कूलों में हिन्दू-मुस्लिम, सिख, ईसाई अर्थात सभी धर्म-सम्प्रदाय के बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं लेकिन मदरसों में सिर्फ मुस्लिम के बच्चे ही शिक्षा प्राप्त करते हैं। अभी पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी योगी सरकार के मंत्रियों और भाजपा नेताओं को कुछ ट्रिप्स दिये थे। इन्हीं सबके बीच योगी सरकार का मदरसों को लेकर यह कदम उठाया गया है।

उत्तर प्रदेश सरकार अब राज्य में किसी भी नए मदरसे को अनुदान नहीं देगी। योगी कैबिनेट की 17 मई को हुई बैठक में पूर्व की अखिलेश सरकार के फैसले को पलटते हुए नए मदरसों को अनुदान सूची पर लिये जाने की नीति को समाप्त करने का फैसला लिया गया है।

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार ने अनुदान सूची में शामिल 146 में से सौ मदरसों को शामिल कर लिया था। इसके बाद इन मदरसों का अनुदान भी शुरू कर दिया गया था, जबकि बाकी 46 मदरसों का प्रकरण अभी चल रहा था। इसे लेकर अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ मंत्री धर्मपाल सिंह ने बताया कि ये मदरसे मानक ही पूरा नहीं कर रहे थे। अब कैबिनेट में इस नीति को ही समाप्त कर दिया गया है तो किसी भी नए मदरसे को अनुदान की सूची में शामिल नहीं किया जाएगा। धर्मपाल सिंह ने कैबिनेट मीटिंग के बाद पत्रकारों को बताया, ‘अरबी-फारसी मदरसों में से वर्ष 2003 तक के आलिया (10वीं) स्तर के स्थायी मान्यता प्राप्त मदरसों को अनुदान सूची पर लिये जाने संबंधी नीति को समाप्त किए जाने का प्रस्ताव कैबिनेट में रखा गया था। इस प्रस्ताव के अनुमोदित होने के बाद अब किसी भी नए मदरसे को अनुदान सूची पर नहीं लिया जाएगा।’ गौरतलब है कि इस समय यूपी में 560 मदरसों को अनुदान मिल रहा है। इसके तहत शिक्षकों, गैर शिक्षण कर्मचारियों का वेतन और भत्ता शामिल है।

दो दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लखनऊ में योगी कैबिनेट के साथ मंथन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि सुशासन से ही सत्ता का रास्ता खुलता है। इसके साथ पीएम ने सीएम योगी के सभी मंत्रियों से जनसेवा की भावना बढ़ाने के लिए कहा। यही नहीं, उन्होंने योगी सरकार के माफियाओं के खिलाफ चलाए जा रहे बुलडोजर अभियान की भी तारीफ की थी। योगी कैबिनेट के साथ मीटिंग के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सीएम योगी के कार्यकाल में यूपी की कानून व्यवस्था बेहतर हुई है और इसके लिए मैं उनको बधाई देता हूं जबकि कोविड मैनेजमेंट में भी यूपी का लोहा सबने माना है। बता दें कि उत्तर प्रदेश कोविड-19 टीका की 32 करोड़ से अधिक खुराक देने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। पीएम मोदी ने योगी कैबिनेट की मीटिंग के दौरान सभी मंत्रियों से कहा कि अभी आराम का समय नहीं है और सभी अभी से 2024 की तैयारियों में जुट जाइए। इसके साथ कहा कि आप सभी लोग अपने क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा समय दें और सरकार की योजनाओं को जनता के बीच पहुंचाएं। पीएम ने साफ तौर पर कहा कि जो लोग पात्र हैं, उन तक हर हाल में सरकारी योजनाएं पहुंचे, इस बात का हमें पूरा ध्यान रखना है। वहीं, उन्होंने सीएम योगी समेत सभी मंत्रियों को नसीहत दी है कि सरकार और संगठन में सामंजस्य बना कर चलना जरूरी है, क्योंकि दोनों एक दूसरे के पूरक हैं।

इससे पहले उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राष्ट्रगान को लेकर बड़ा फैसला लिया था। यूपी सरकार ने आदेश जारी किया कि प्रदेश के मान्यता प्राप्त अनुदानित और गैर अनुदानित सभी मदरसों में कक्षाएँ शुरू होने से पहले अनिवार्य तौर पर राष्ट्रगान करवाया जाए। इसको लेकर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने आदेश जारी किया है। मदरसा शिक्षा परिषद ने ये बदलाव किए हैं, जिसके बाद जिला अल्पसंख्यक अधिकारी ने सभी मदरसों के मैनेजर्स को जारी किया है। उल्लेखनीय है कि रमजान के खत्म होने के बाद से 14 मई से मदरसा बोर्ड में परीक्षाएँ भी शुरू हो गयी हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, मदरसों में राष्ट्रवादी शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए पिछले महीने योगी कैबिनेट में मंत्री धर्मपाल सिंह ने पहल की थी। मौजूदा वक्त में उत्तर प्रदेश में 16461 मदरसे हैं। वहीं दानिश आजाद अंसारी ने बताया कि वार्षिक परीक्षाएँ भी शुरू हो रही हैं। नए सत्र की शुरूआत हो रही है, जिसके चलते सभी मदरसों में लोगों ने आना शुरू कर दिया है। बोर्ड ने सभी जिला कल्याण अधिकारियों को इसके बारे में सूचित कर दिया है। गौरतलब है कि मदरसा शिक्षा बोर्ड की 24 मार्च 2022 को उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड की बैठक के दौरान इसको लेकर फैसला लिया गया था कि सभी अनुदानित और गैर अनुदानित मदरसों में नए सत्र से क्लास शुरू होने से पहले छात्रों को राष्ट्रगान गाना होगा। इस दौरान मदरसा के शिक्षकों की बॉयोमेट्रिक हाजिरी और नए सत्र से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा शुरू करने का भी फैसला किया गया था। बैठक मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष इफ्तिखार अहमद जावेद की अध्यक्षता में हुई थी। मदरसा बोर्ड अब परीक्षा भी बेसिक शिक्षा परिषद की तर्ज पर ही लेगा। प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री दानिश अंसारी ने मदरसा शिक्षा के बारे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का उल्लेख किया। श्री मोदी ने कहा था कि हमारा सपना है कि मुसलमानों के एक हाथ में कुरान हो तो दूसरे हाथ में लैपटाप।
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