विपरीत समय में मानव की परिस्थितियां कुछ इस तरह बदल जाती हैं........
जब समय वाम हो जाता है
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जब समय वाम हो जाता है
विचलित होता पथ से मानव
वह सूझबूझ खो जाता है
ना सत्पथ ही दिख पाता है
नर बोध शून्य हो जाता है।
जब समय वाम हो जाता है ।
अब द्रुपद सुता को ही देखो
थी इंद्रप्रस्थ की महरानी
थे पंच पति सब पराक्रमी
सब धीर वीर ज्ञानी ध्यानी
क्या करें समझ ना आता है।
जब समय वाम हो जाता है।
जब नजर विधि ने वक्र किया
तब दिन उसका था वाम हुआ
दु:शासन चीर हरा उसका
पांडव का शौर्य नकाम हुआ
उपदेश न जरा सुहाता है।
जब समय वाम हो जाता है।
लंकापति रावण को देखो
वह रहा बहुत अत्याचारी
सीता का उसने हरण किया
तब हुआ पाप का घट भारी
कुकर्म ही सदा सुहाता है।
जब समय वाम हो जाता है।
सोचा था रावण ने मन में
सीता ही होगी पटरानी
पर उसका सपना व्यर्थ हुआ
फिर गया आसरा पर पानी
सन्मार्ग समझ ना आता है।
जब समय वाम हो जाता है।
हरिचंद्र अयोध्या का राजा
जब दिन था उसका वाम हुआ
बिक गया डोम के हाथों वह
सब ठाठ बाट नाकाम हुआ
अवनीश रंक हो जाता है।
जब समय वाम हो जाता है।
था कर्ण महाभट दानवीर
यह जान रहा है भूमंडल
आया दुर्दिन दिन पलट गए
तब हरण हुआ कवच कुंडल
भाई दुश्मन बन जाता है।
जब समय वाम हो जाता है।
त्रैलोक्य विजेता बलि राजा
दानी में भी था महदानी
सर्वस्व हरा तब वामन ने
ना रोक सके थे गुरु ज्ञानी
नर दिशाहीन हो जाता है ।
जब समय वाम हो जाता है। धनंजय जयपुरी
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