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अंतिम बेला

अंतिम बेला

जीवन से लाचार मां को था
मौत का इंतजार,
लेकिन
मौत से पहले था,
उसे अपने बेटे का इंतजार।
यूं आएगा मौत,
था, नहीं उसे आभास ।
जब आया मौत ,
मिला मौत से नजरें
निभी॔क सी बोल पड़ी,
आज ले जाने की 
जिद्द न करो,
कुछ देर ठहरो
है, ये विदा की अंतिम बेला
लग जाने दो मेरे आसपास
कुछ अपनो का मेला।
ये मौत,
तुझे क्या पता,
सुन मेरे अंतिम श्वास की बात
वर्षों वर्षों.........बाद
छोड़ बच्चों का इम्तिहान
आने को है, मेरा लाल,
रूको, आने तक उसके।
ले जाओगे जो आज,
भटकेगी रूह,
खुली पलकें,
मरने के भी बाद ,
जोहेगी, उसीका बाट
उसीका बाट.........!

स्व रचित
संगीता सागर
 मुजफ्फरपुर, बिहार
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