अंतिम बेला
जीवन से लाचार मां को था
मौत का इंतजार,
लेकिन
मौत से पहले था,
उसे अपने बेटे का इंतजार।
यूं आएगा मौत,
था, नहीं उसे आभास ।
जब आया मौत ,
मिला मौत से नजरें
निभी॔क सी बोल पड़ी,
आज ले जाने की
जिद्द न करो,
कुछ देर ठहरो
है, ये विदा की अंतिम बेला
लग जाने दो मेरे आसपास
कुछ अपनो का मेला।
ये मौत,
तुझे क्या पता,
सुन मेरे अंतिम श्वास की बात
वर्षों वर्षों.........बाद
छोड़ बच्चों का इम्तिहान
आने को है, मेरा लाल,
रूको, आने तक उसके।
ले जाओगे जो आज,
भटकेगी रूह,
खुली पलकें,
मरने के भी बाद ,
जोहेगी, उसीका बाट
उसीका बाट.........!
स्व रचित
संगीता सागर
मुजफ्फरपुर, बिहारहमारे खबरों को शेयर करना न भूलें|
हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews
https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com