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आंसू

आंसू

नैन मोती ढल आते, 
आंखों से अश्रुधार। 
अंसुवन अनमोल, 
जरा पहचानिए। 

नीर बहे पलकों से, 
आंसुओं की धार बन।
भावों का सिंधु उमड़े, 
मनोभाव जानिए। 

पीर का ज्वार समाये, 
सुख-दुख आंसुओं में। 
खुशी मारे फूट पड़े, 
आंसुओं को थामिए। 

दर्द की बहती धारा, 
नयन बहता नीर। 
पलकों के मोती जरा, 
पढ़कर जानिए।

रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
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