परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने चिकित्सा क्षेत्र में उच्च शिक्षा प्राप्त की है । यदि उन्होंने निश्चय किया होता तो बहुत प्रसिद्धी और पैसा कमा सकते थे; परंतु उन्होंने हिंदुओं पर होनेवाला अन्याय दूर करने के लिए 'हिन्दू राष्ट्र की स्थापना' का निश्चय किया । परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी द्वारा स्थापित 'सनातन संस्था' वर्तमान में विश्वव्यापी बन रही है । उनके विचारों से प्रेरणा लेकर वर्ष 2002 में 'हिन्दू जनजागृति समिति' स्थापित हुई है । वर्तमान में समिति के माध्यम से बडी मात्रा में हिन्दू संगठन खडा हो रहा है । भगवान श्रीकृष्ण के वचन के अनुसार कलियुग में धर्म को आई हुई ग्लानि दूर करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण के रूप में साक्षात परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने जन्म लिया है । इसलिए उनके मार्गदर्शन के अनुसार 'हिन्दू राष्ट्र की स्थापना' शीघ्र ही होगी इसका हमें विश्वास है, ऐसा भावपूर्ण प्रतिपादन झारखंड राज्य के 'तरुण हिन्दू' के अध्यक्ष श्री. नील माधव दास ने किया । वे हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित 'परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का हिन्दू राष्ट्र स्थापना का ईश्वरीय कार्य !' इस विषय पर आयोजित 'ऑनलाइन' विशेष संवाद में बोल रहे थे ।
इस समय रत्नागिरी जिले के वारकरी संप्रदाय के ह.भ.प. बाळकृष्ण बाईत महाराज ने कहा कि, परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी द्वारा प्रस्तुत हिन्दू राष्ट्र की संकल्पना प्रत्यक्ष अवतरित हो रही है । ज्ञानवापी मस्जिद मेें शिवलिंग मिलना, कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाया जाना आदि घटनाएं हिन्दू राष्ट्र का अभ्युदय ही हैं । संतों की भविष्यवाणियां सत्य सिद्ध हो रही है । स्वभावदोष निर्मूलन द्वारा आनंदप्राप्ति कैसे करें, यह सनातन संस्था के ग्रंथ 'स्वभावदोष निर्मूलन' और 'अहं निर्मूलन' के कारण ज्ञात हुआ । इन ग्रंथों के माध्यम से वास्तविक रूप से अध्यात्म का परिचय हुआ ।
इस समय 'सनातन संस्था' के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस ने कहा कि, हिन्दू राष्ट्र की स्थापना से अखिल विश्व का कल्याण होनेवाला है । सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने उनके गुरु प.पू. भक्तराज महाराज की आज्ञा के अनुसार हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का महान कार्य आरंभ किया है । धर्मसंस्थापना एक बडा शिवधनुष है और यह कार्य कोई महापुरुष अथवा पुण्यात्मा ही कर सकता है । हिन्दू राष्ट्र स्थापना का कार्य हिन्दुआें को तटस्थ रहकर नहीं देखना चाहिए, अपितु उसमें अपनी क्षमता और कुशलता के अनुसार सम्मिलित होना चाहिए । हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के कार्य में सम्मिलित होना संबंधित हिन्दू का पुरुषार्थ है और इस कारण निश्चित ही उसकी पारलौकिक उन्नति होनेवाली है ।
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