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अयोध्या में साजिश

अयोध्या में साजिश

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
अयोध्या सिर्फ उत्तर प्रदेश की नहीं बल्कि समूचे भारत की है। भारत से बाहर भी अयोध्या जुड़ी है। भगवान श्रीराम से लगाव रखने वाले कम्बोडिया के मुसलमान भी उन्हंे अपना पूर्वज मानते हैं। अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा आदि देशों में बसे भारतीय मूल के लोग राम को मानते हैं। माॅरीशस तो उन मजदूरों का ही देश है जो ब्रिटिश हुकूमत के दौरान अपने विस्तर में लपेट कर हनुमान चालीसा और रामचरित मानस की प्रति ले गये थे। इसलिए राम की नगरी अयोध्या में साम्प्रदायिक माहौल बिगाड़ने की जिस प्रकार साजिश रची गयी थी, उसको विफल करने वाले पुलिस बल को नमन करना चाहिए। साजिश विफल हो गयी, इसलिए भगवान राम और उनके परम भक्त हनुमान की कृपा माननी चाहिए। केन्द्र से लेकर उत्तर प्रदेश तक भाजपा की सरकार के चलते एक तरह की दुष्प्रवृत्ति भी बनी है। हिन्दू और मुस्लिम कट्टरता को उभारने का प्रयास सबसे ज्यादा सोशल मीडिया पर हुआ है। दो अलग-अलग तरह की विचारधाराएं विष वमन कर रही हैं। इन्हीं का एक नतीजा अयोध्या में देखने को मिला है। अयोध्या में उस समय भी दंगा नहीं हुआ था, जब कथित बाबरी मस्जिद का ढांचा ढहाया गया था। वहां दोनों समुदाय के लोग हिल मिलकर रह रहे हैं। इसलिए यह साजिश खतरनाक बीमारी का संकेत देती है। पुलिस के माध्यम से जानकारी मिली है कि कुछ शरारती तत्वों ने जालीदार टोपी लगाकर आपत्तिजनक पर्चे और मांस के टुकड़े मुस्लिम धार्मिक स्थलों के पास फेंके। पुलिस ने सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है क्योंकि इन सभी के चित्र खुफिया कैमरों (सीसीटीवी) में कैद हो गये थे। गिरफ्तार लोगों में मास्टर माइंड महेश मिश्रा, प्रत्यूष कुमार, नितिन कुमार, दीपक गौड़, शत्रुघ्न व विमल पाण्डेय हैं। ये सभी हिन्दू योद्धा संगठन के सदस्य बताये जाते हैं। इनके साथ चार अन्य लोग भी शामिल थे। आरोपी खुद चाहता था कि उसकी यह करतूत जनता के सामने आये, इसीलिए जानबूझ कर उन दो मस्जिदों का चयन किया गया, जहां सीसीटीवी लगे थे अर्थात् साजिशकर्ता दुस्साहसी भी हैं।

वे अपना मकसद भी बताते हैं। पुलिस के मुताबिक आरोपी दिल्ली के जहांगीरपुरी का बदला लेना चाहते थे जहां कथित मुस्लिम युवकों ने नंगी तलवारें लेकर आगजनी व उपद्रव किया था। यह घटना 16 अप्रैल को हनुमान जन्मोत्सव के दिन घटी थी। अयोध्या में इसका बदला लेने का यह तरीका भी निंदनीय ही नहीं गंभीर अपराध है। पुलिस के अनुसार महेश मिश्रा ने ब्रजेश पांडे नाम के शख्स के घर पर इस साजिश की योजना बनायी था। महेश ने आपत्तिजनक पर्चे लालबाग में छपवाये थे। इस प्रकार के प्रेस पर भी कार्रवाई होनी चाहिए जो आपत्तिजनक पर्चे छापते हैं। पुलिस के अनुसार प्रत्यूष श्रीवास्तव ने कुरान और टोपी खरीदी थी। इनके अलावा अन्य आरोपियों ने लालबाग से मांस खरीदा था। इस प्रकार तैयारी हुई थी। सारा सामान 26 अप्रैल को एकत्रित कर लिया गया और फिर कश्मीरी मोहल्ला मस्जिद में मांस और कुरान को फेंका। इसके बाद दूसरी मस्जिद के सामने आपत्तिजनक सामान और मांस डाल दिया।

दूषित विचारधारा का इलाज करना जरूरी है। दिल्ली के जहांगीरपुरी में इसी तरह की विचारधारा के लोगों ने हिंसा का सहारा लेकर दहशत पैदा की। इसका नतीजा यह हुआ कि गंभीर धाराओं में आरोपी तो गिरफ्तार ही किये गये, वहां जिन लोगों ने दो वक्त की रोटी कमाने के लिए दुकानें बनाई थीं, हालांकि वे अतिक्रमण करके बनायी गयी थीं, बुलडोजर से गिरा दी गयीं। रोजी-रोटी की समस्या वहां पैदा हो गयी है। अब अयोध्या के इन सिरफिरों को जहांगीरपुरी का बदला लेने की दुर्बुद्धि पैदा हुई। आरोपियों ने कहा कि हनुमान जयंती के मौके पर जहांगीरपुरी में हिंसा हुई थी, इसलिए वे लोग ईद पर माहौल खराब करना चाहते थे। ये सिरफिरे चाहते थे कि हनुमान जयंती की तरह ही ईद की खुशी में खलल पड़े। भारत की गंगा-जमुनी संस्कृति को विश्व में सराहना मिलती है। पाकिस्तान जैसे देश असहिष्णुता का राग अलापते रहते हैं। अयोध्या के इन भटकाव के शिकार युवकों ने ऐसे लोगों को एक अवसर दे दिया है। वे हमारे देश की बदनामी विश्व मंच पर कर सकते हैं।

इसीलिए कानून ने सख्त कदम उठाया है। आरोपी युवकों पर आईपीसी की धारा 295 (किसी भी वर्ग के धर्म का अपमान करने के इरादे से पूजा स्थल को चोट पहुंचाना या अपवित्र करना) और 295-ए (जान बूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य, जिसका उद्देश्य किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को उसके धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करना है) के तहत मामला दर्ज किया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर इन युवाओं पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत मुकदमा भी दर्ज हो गया है। सरकार का इरादा बिल्कुल साफ है कि अपराध करने वाला किसी भी वर्ग, जाति, मजहब को मानने वाला हो, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए ताकि दूसरे लोगों को इसका सबक मिल सके।

धार्मिक स्थल पर आपत्तिजनक पोस्टर, मांस व फटी हुई धार्मिक पुस्तक फेंककर दंगा कराने की साजिश रचने के आरोप में पुलिस ने सात लोगों को गिरफ्तार किया है। घटना में शामिल चार लोगों की तलाश की जा रही है जिसमें मुख्य आरोपी महेश मिश्रा हिंदू योद्धा संगठन का प्रमुख है। फिलहाल, उत्तर प्रदेश के अयोध्या में अराजक तत्वों द्वारा माहौल खराब करने और दंगा भड़काने की कोशिश को पुलिस ने नाकाम कर दिया। पुलिस ने तीन मस्जिदों समेत चार स्थानों पर आपत्तिजनक पोस्टर, धार्मिक ग्रंथों की प्रतियां और मांस फेंकने के आरोप में सात लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने कहा कि गिरफ्तार किए गए सात आरोपियों की पहचान महेश कुमार मिश्रा, प्रत्यूष श्रीवास्तव, नितिन कुमार, दीपक कुमार गौर उर्फ गुंजन, बृजेश पांडे, शत्रुघ्न प्रजापति और विमल पांडे के रूप में हुई है। सभी आरोपी अयोध्या जिले के रहने वाले हैं। एसएसपी शैलेश कुमार पांडेय ने कहा कि इस मामले में सात आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है जबकि चार आरोपी अभी फरार हैं, जिनको जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा, “गिरफ्तार किए गए लोगों से पूछताछ के दौरान सामने आया कि वे शहर के सौहार्दपूर्ण माहौल को खराब करना चाहते थे।” एसएसपी ने कहा कि कानून-व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है और शहर में कोई भी अप्रिय घटना नहीं हुई है। पुलिस के मुताबिक, तीन मस्जिदों-तातशाह जामा मस्जिद, मस्जिद घोसियाना और कश्मीरी मोहल्ला मस्जिद के बाहर आपत्तिजनक वस्तुएं फेंकी गईं। इसके अलावा, कोतवाली थाना अंतर्गत गुलाब शाह बाबा के दरगाह पर भी आपत्तिजनक वस्तुएं फेंकी गई थीं। एसएसपी ने बताया, “महेश मिश्रा के साथ चार मोटरसाइकिलों पर कुल आठ लोगों ने मस्जिदों और दरगाह पर आपत्तिजनक पोस्टर और वस्तुएं फेंकी जिन आपत्तिजनक वस्तुओं को उन्होंने फेंका था, उन्हें बरामद कर लिया गया है और उनके द्वारा इस्तेमाल किए गए वाहनों को जब्त कर लिया गया है।” एक बयान में अयोध्या पुलिस ने पूरे मामले में महेश मिश्रा को ‘मास्टरमाइंड’ बताया है। इस मामले को राजनीतिक तूल न दिया जाए लेकिन निष्पक्ष जांच जरूर की जाए।
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