हाय हाय गर्मी
सुबह की नर्मी
दिन की गर्मी।
शाम को ठंडक
रात में शीतलता।
जिसे कारण बसुन्धरा
बिखेर देती है मोती।
जिससे हमें मिलती है
सुबह सुबह बहुत नर्मी।।
प्रकृति का यही क्रम
दिन रात चलता है।
जिसका आनंद भी
हर किसी को मिलता है।
दुनियां को बनाने वाले ने
किस तरह की रचना की।
जिसके चलते हुए हर
मौसम का आनंद मिलता है।।
आज कल का मौसम
कुछ अलग चल रहा है।
सभी का गर्मी से बेहाल है
न खाने पीने का मन होता है।
न घर से निकलने का और
न ही घूमने का दिल करता है।
हाय गर्मी हाय गर्मी और
हायहाय गर्मी दिल करता है।।
कहते है खगोलशास्त्री की
पड़ेगी जितनी ज्यादा गर्मी।
मिलेंगे उतने अच्छे अच्छे
खाने पीने को हमें फल।
और फिर होगी अच्छी वर्षा
जिससे खेतों में होगी ।
और नदी तालाबों में
भर जायेगा फिर जल।।
जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबईहमारे खबरों को शेयर करना न भूलें|
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