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डाकिया

डाकिया

सुख-दुख के संदेश, 
खुशियों के प्यार भरे।
डाकिया का इंतजार, 
होता घर द्वार था।

आखर आखर मोती, 
चिट्ठी की महक लाता।
इक छोटा पोस्टकार्ड, 
कागज में प्यार था।

चूड़ियों की खनक भी, 
बुलंदी की ललक भी। 
खुशियों का खजाना वो, 
डाक लाता जब था।

वो मामूली खत नहीं, 
भरी प्रेम रसधार‌ 
वो भी एक जमाना था,
डाकिया लाता तार‌‌।

रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
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