हें...हें... लाल...लाल(मगही बतरस)
---:भारतका एक ब्राह्मण.
संजय कुमार मिश्र 'अणु'
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जगरना के घर आज सब लडकी देखे आयेल हे कुर्मा से।बडी दिन के बाद अगना में तखुशी नांच रहल हे।लईका सेयान सब बहुते खुश हथ।लोथी के मन जेतना घबराईत न हल ओकरा से जादे अगरा रहल हल।
जगरना के त जइसे मुरादे भेटा गेल।घर में हमेशा अनाज भरल रह हल।गला पाती के कबहिओं कमी न रहलक हल।लेकिन रुपेया पईसा बडी मुस्किल से कभी कभी भेटा हल।एक दिन पता चलल की कुर्मा के बिफन घर एगो लईका हे।उ लईका हलांकि पढल लिखल तs कम हे लेकिन मेहनती जादे हे।घर के हालचाल देख के उ सुरत कमाय भाग गेल।आज अच्छा पईसा कमा रहल हे।कल बिफन के रहेला एगो घर ना हल लेकिन आज खपरैला पक्का मकान के साथ दुरा दलान सब हे।ई उहे लईकवा कमा कमा के बनववलक हे।कमातुर लईका देख के जगरना अपन लोथी लेल रिश्ता पक्का कर लेल।
सब लोथी के देखे आयेल हथ।ऐह से घर आंगन मे चहल पहल हे।लोथी एतने सुंदर आऊ सुधड हल की सब ओकरा नाम लोथी धर देलन की कहीं कोई के नजर ना लगे।सब लोथी के देखलन तs देखते रह गेलन।
बिफन के घर से लोथी के खुब भेट सिंगर मिलल।दोनों जना एक दुसरे के परिवार के आवभगत और कपडा लत्ता के लेन देन कईलन।सब खुश हलन की चलsजईसन खोजली ओईसन पवली।अगना में गीत गवायेल।खुब रंग भी परल।
चलईत घडी बिफन घर के सब लईकन के बोलवलक।चार गो लईकन भेटायेल।सबसे नाम पता पुछल गेल।बतवला पर सबके ललका-ललका बीस रुपईवा धरा देल गेल।उ लईकवन कबहिओं रुपया न देखलक हल।बस जेकरा उ बीस रुपईडीहा मिले तो छुटते अपन घर में खुशी के मारे ढुक जाये।बोले कुछ ना।
तेतरा के बेटा तनी तोतरा हल।खुश देख के तेतरा बहु अपन बेटा से पुछल..... का हऊ बेटा?बस बेटवा दहिना हाथ से बाईं कलाई पकड के लगल इसारा से बताबे...... लाल....लाल...माई।हें....... हें....... लाल..... लाल
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