मैं और मेरी चाय
सुमित मानधना 'गौरव', सूरत
कप हाथ में ले चाय की चुस्की लेते,
दोस्तों के साथ महफिल हम जमाते ।
लंबी-लंबी छोड़ कर लड़ाते थे गप्पे ,
चाय की टपरी पे आधी जिंदगी बिताते।
टांग खींच कर उनकी खूब करते मस्ती,
पता ही नहीं चलता कब घंटों बीत जाते।
खुद की सुना कर सुनते थे दोस्तों की ,
मजाक से ही अपना मन हल्का करते।
यारों के साथ इतने हो जाते मशरूफ,
खुशी बांट कर औरों का गम भुलाते।
इसी तरह बस हल्का करते थे मन,
यारों को कसकर गले हम लगाते।
कल फिर मिलेंगे 'सुमित' इतना कह पाते,
सब अपने अपने घर को थे चले जाते।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें|
हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews
https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com