दिव्य रश्मि ने मनाया आठवा स्थापना दिवस एवं सावरकर जी की १३९ वी जयंती |
पटना २८.०५.२०२२ को पटना के आई एम् ए हाल में दिव्य रश्मि पत्रिका का स्थापना दिवस सह वीर सावरकर जी की १३९ वी जयंती मनाई गई|
कार्यक्रम के प्रारम्भ में दीप प्रज्वलित कर सावरकर जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया |कार्यक्रम की अध्यक्षता बाणिज्य महाविद्यालय के पूर्व अध्यापक डॉ रमाकांत पाण्डेय ने की एवं अन्य वक्ताओ में कमलेश पुण्यार्थ , मार्कण्डेय शारदेय , श्याम नाथ श्याम ने अपने विचार रखें मुख्य वक्ता भारतीय जन क्रान्ति दल डेमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय वर्मा ने कहाकि वीर सावरकर बीसवीं शताब्दी ईस्वी के महानतम देशभक्त हैं। एक महान कवि, महान साहित्यकार, महान भाषा अध्येता, महान इतिहासकार ,महान समाज शास्त्री और महावीर राष्ट्र भक्त थे | उनके जैसा अद्वितीय पराक्रम, बौद्धिक अध्यवसाय, कठिन परिश्रम ,अद्वितीय और असंभव लगने वाला पराक्रम और शौर्य सामान्यतः अकल्पनीय है। सच तो यह है और यह मैं बहुत शांत चित्त से कह रहा हूं, किसी प्रकार के उद्वेग के बिना, कि वीर सावरकर के समक्ष गाँधी जी भी बहुत छोटे हैं और नेहरू तो उनके सामने खड़े होने लायक ही नहीं हैं। वीर सावरकर नित्य स्मरणीय ,वंदनीय, प्रातः स्मरणीय हैं। वह हमारे राष्ट्र का अद्वितीय गौरव हैं। उनके जैसा कोई व्यक्ति स्वयं यूरोप में विगत 1000 वर्षों में नहीं हुआ।भारत में तो होते रहे हैं। इन सब तथ्यों का स्मरण रखते हुए इस भारतवर्ष में वे उत्पन्न हुए, उसकी महिमा को जानना आवश्यक है।। यह भारत राष्ट्र संसार का प्राचीनतम राष्ट्र है और स्वाभाविक राष्ट्र है,नैसर्गिक राष्ट्र है। यह परमात्मा की इच्छा से विशेष रूप से निर्मित राष्ट्र है। अंग्रेजों ने भारतीयों को जानवरों से भी बदतर जिंदगी जीने पर मजबूर किया था। अंडमान की सेल्यूलर जेल में काला पानी की सजा काटते हुए वीर सावरकर को कोल्हू से तेल निकलना पड़ा और प्रतिदिन 30 पाउंड तेल निकालने का काम 11 वर्षों तक करना पड़ा था। वीर सावरकर का सबसे स्तुत्य कार्य रहा 1857 के संग्राम को प्रथम स्वातंत्र्य समर नाम देना।जब वीर सावरकर थे,अचानक अपने छल पूर्ण प्रोपेगेंडा के बल पर अंग्रेजों ने पैशाचिक इस्लाम से जूझ रहे हिंदू राष्ट्र में शिक्षा के नाम पर अनेक लोगों को प्रभावित कर लिया और बहुत सारी भ्रान्तियों को फैलाने में सफल रहा, जिसमें से एक यह है कि इंग्लैंड एक उसी प्रकार का राष्ट्र है जैसे भारत | जिस प्रकार का कार्य सावरकर उन दिनों में हिन्दुओ को जगाने का कर रहें थें उसी प्रकार का कार्य आज दिव्य रश्मि कर रही है |
डॉ अजित कुमार पाठक ने कहाकि देश के पत्र पत्रिकाओं की भीड़ में अलौकिक रश्मि से देदीप्यमान दिव्य रश्मि आठ वर्ष का हो गया यह जान कर काफी प्रसन्न हूँ मैं | कभी भी पुरानी नहीं होने बाली हमारी यह पत्रिका सदैव पठनीय, एवं संग्रहणीय है| धर्म , शिक्षा,एवं महापुरुषों की बारे में इतनी नयी नयी जानकारियाँ इसमें रहती है जिससे यह भीड़ से आप अलग दिखाई देता है| हिन्दू धर्म के ब्रत,त्यौहार,विधि,बिधान,के साथ सांगोपांग विशद व्याख्या जितनी दिव्य रश्मि में मिलती है उतनी किसी अन्य पत्रिकाओं में नहीं मिलती है | मैं दिव्य रश्मि का प्रथम अंक से पाठक रहा हूँ | अगर आप इसका सम्पादकीय ही पढ़ लें तो इसका स्तर आपको मालूम पड़ जायगा | सबसे प्रमुख इस पत्रिका की विशेषता है कि दुर्गा पूजा के समय माँ दुर्गा के बारे में और उनकी आराधना की पूरी पद्दति, सरस्वती पूजा ,होली ,शिवरात्रि ,दिवाली के समय भी इन सब के बारे में विशद व्याख्या आपको और कहीं नहीं मिलेगा | अगर हम ये कहें की दिव्य रश्मि सालों भर विशेषांक ही छापता है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी | नियमित समय पर पाठकों के हाथ में मिल जाना इसको और विशेष बना देता है | हिन्दू देवी देवताओं एवं महा पुरुषों के चित्र कवर पृष्ठ पर रहने से इसकी आभा और भी निखर जाती है | भारतीय चिकित्सा पद्धतियों, ऋषियों-महर्षियों सहित हमारी सभ्यता संस्कृति को बताने बाले लेखों को प्रकाशित किया जाये तो औरचार चाँद लग जायेगा |
पत्रिका की ओर से दिव्य रश्मि सम्मान २०२२ में साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए संगीता मिश्र, डॉ रानी श्रीवास्तवा ,डॉ मीणा श्रीवास्तव ,शकुन्तला मिश्र , मार्कण्डेय शारदेय एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए डॉ राकेश आर्य ,जितेन्द्र सिन्हा ,वेद प्रकाश तिवारी ,पियूष रंजन एवं लव कुमार मिश्र को सम्मानित किया गया | कार्यक्रम में सम्पादक डॉ राकेश दत्त मिश्र, अनिरुद्ध शर्मा, गिरीश चन्द्र त्रिपाठी, रवि कुमार नीरज पाठक , राजीव कुमार विकास कुमार, देवेन्द्र प्रताप सिंह ,जितेन्द्र कुमार सिन्हा ,बिनोद कुमार सिंह ,राजेश मुकेश कुमार,पप्पू कुमार,अमरेन्द्र कुमार सिंह, कन्हैया तिवारी, राकेश कुमार गुप्ता,आशीष रंजन, चन्दन कुमार ,उमेश कुमार सिंह सच्चीदानंद मिश्र , अरविन्द कुमार अकेला संगीता मिश्र, डॉ रानी श्रीवास्तवा ,डॉ मीणा श्रीवास्तव ,शकुन्तला मिश्र , मार्कण्डेय शारदेय डॉ राकेश आर्य ,जितेन्द्र सिन्हा ,वेद प्रकाश तिवारी ,पियूष रंजन एवं लव कुमार मिश्र आदि उपस्थित थें |
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