Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

Liked on YouTube: सनातन धर्म परम्परा को स्थापित किया आदि शंकराचार्य ने:- जगत नारायण शर्मा

सनातन धर्म परम्परा को स्थापित किया आदि शंकराचार्य ने:- जगत नारायण शर्मा
बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ में हर्षोल्लास से मनाया गया आदि शंकराचार्य जी की जन्मोत्सव | सनातन धर्म परम्परा को स्थापित किया आदि शंकराचार्य ने:- जगत नारायण शर्मा पटना के बिहार सांस्कृतिक विद्यापीठ, राजाबाजार के सभागार में जगद्गुरु आदि शंकराचार्य की जयंती विद्यापीठ के संचालक जगत नारायण शर्मा की अध्यक्षता में बच्चों के द्वारा वैदिक मंत्रोचार एवं मंगलाचरण के द्वारा किया गया| इस अवसर पर उपस्थित जनों ने आदि शंकराचार्य के चित्र पर पुष्पांजली अर्पित कर अपनी कृतज्ञता आदि शंकराचार्य जी के चरणों में रखीं | कार्यक्रम में सदाचार समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामाशीष सिंह ने भागवत का श्लोक बोलते हुए कहाकि ज्ञानी वेद आदि शास्त्रों के ज्ञान को जाननेवाले से भी श्रेष्ठ होता है | आदि शंकराचार्य ने सम्पूर्ण भारत वर्ष का दौरा पैदल ही किया और पुरे भारत में चार पीठ की स्थापना की और सनातन श्रम की वैदिक परम्परा को अक्षुण रखने का मार्ग प्रशस्त किया | पूर्व की भांति आज विद्यापीठ के सभागार मे आदि गुरू शंकराचार्य जी का जयन्ती मनाई गई। उक्त अवसर कई गणमान्य व्यक्ति पधारे आश्रम के विद्यार्थी एवं शिक्षकों ने भाग लिया विद्यापीठ के संचालक श्री जगत नारायण शर्मा जी मंच का संचालन किया।भाग लेने वालो मे मुख्य डाॅ रमाकान्त पाण्डेय, पूर्व जनसंघ विधायक एवं वाणिज्य विभाग पटना विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, श्री आर . डी .मिश्रा राष्ट्रीय महासचिव भारतीय जन क्रान्ति दल (डेमोक्रेटिक) तथा दिव्य रश्मि धार्मिक पत्रिका के सम्पादक एवं दिव्य रश्मि न्यूज चैनल के संस्थापक।श्री प्रभाकर चौबे ,ब्राह्मण नेता ।सनातनी एवं विद्यापीठ के प्रवक्ता ।श्री हॄदय नारायण झा वरिष्ठ पत्रकार , योग गुरू, आकाशवाणी पटना के मैथिली गायक ।श्री देवेश शर्मा शिक्षक आदि ने अपने उद्गार व्यक्त किये। श्री जगत शर्मा जी ने आदि गुरू शंकराचार्य जी को सनातन धर्म को दिग्दिगन्त मे फैलाने वाला महान विभूति बताया।उन्होंने बताया कि शंकराचार्य जी का जन्म केरल के कालाडी ग्राम मे एक शिवभक्त ब्राह्मण परिवार मे हुआ था।उन्होने अल्प वय मे ही चार पीठों की स्थापना की एवं अनेक भाष्य लिखे।भारत के चारो कोणों मे पीठ बनाकर सम्पूर्ण भारत को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से एक करने का महान कार्य किया। श्री रमाकान्त पाण्डेय जी ने साक्षात्कार के दौरान सदाव्रती योजनाओं एवं अनुत्पादक व्यय पर चिन्ता व्यक्त की। हिन्दु मुस्लिम करने पर एवं समाज को बांटने के किसी भी प्रयास की निन्दा की।तथा कहा कि गलती है जहां सुधार उस जगह होनी चाहिए ।उनका गलत धार्मिक शिक्षण से था। सदाव्रती योजनाओं से देश के लोग पुरुषार्थहीन होंगे और जो ऐसा करेगे उनकी भी वही गति होगी। एक अन्य विद्वान ने ब्राह्मण किसे कहते है उसपर प्रकाश डाला।इसपर हस्तक्षेप करते हुए प्रभाकर चौबे ने प्रमाणों सहित जन्म से ब्राह्मण होने की अनिवार्यता पर प्रकाश डाला और आगे बताया कि चातुर्वर्ण्या मया सृष्टा गुण कर्म विभागश:।का मतलब ही होता है कि जातिगत और योनिगत गुण के आधार पर परमात्मा के संकेत से प्रकृति जाति ,योनि ,अमीर, गरीब, जीव, जन्तु जन्मान्ध ,विकलांग, तेजस्वी ,बलवान वीर्यवान आदि पैदा करती है। प्रकृति पूर्वजन्मो के संचित कर्माहंकार के अनुरूप जाति निर्धारित करती है।कर्म प्रधान विश्व करी राखा।यानि सब कर्मो के आधार पर ही निर्धारित होता है।ब्रह्माभासयुक्त ब्राह्मण मे जन्म लेता है।गीता नही समझने वाले थोडा आगे का अध्याय भी पढे।अर्जुन के प्रश्न का बडा अच्छा जबाब दिया है भगवान श्री कृष्ण ने कि तप: साधना मे लगा व्यक्ति सफल न हो तो क्या उसका श्रम व्यर्थ चला जाता है।भगवान श्रीकृष्ण ने कहा नहीं ।उसका अगले जन्म मे उत्तम योगियों के कुल मे जन्म होता है जहां उसे अपने पुराने संचित कर्मो का फल सिद्धि का अवसर पुनः प्राप्त होता है।धर्म की अधुरी व्याख्याकार पाखण्डी दुनिया मे भरते जा रहें है।देश को ईसाईयों जैसा बर्णसंकरित करना चाहते हैं ।शहर के लोग कुत्ते को गोद मे लिये घूमते है गाय को छुट्टा छोड देते हैं ।गाँव के लोग गाय की सेवा करते हैं कुत्ते को छुट्टा घुमने देते हैं ।गाँव वाले सनातनी है कि शहर वाले? सनातन धर्म संस्कृति की रक्षा करनी होतो ग्रामीण कल्चर को समझना होगा।सनातन की सही स्वरूप वही मिलेगा।जातियो को किस उद्देश्य से पूर्वजों ने लाखो साल से ढोया अब उस पुरखो के धरोहर को ईसाइयत के प्रभाव मे मिटाने की साजिश की जा रही है।जातियाँ कर्तव्य और संस्कार से जुडे और सनातन धर्म संस्कृति ध्वज के नीचे एकजुट हों। प्रभाकर चौबे डॉ रमाकांत पाण्डेय ने विद्यापीठ के बच्चों को आदि शंकराचार्य के आदर्शों के बारें में बताया और कहाकि आप को अपने पाठ और गुरुजनों पर आस्था जरुर करनी चाहिए| बच्चो को कभी उदास नहीं रहना चाहिए| कार्यक्रम में देवेश श्रम, कवीन्द्र कुमार शर्मा, डॉ अरविन्द पाण्डेय, हेमकांत मिश्र , प्रभाकर चौबे एवं छत्रों ने भाग लिया| दिव्य रश्मि ! धर्म, राष्ट्रवाद , राजनीति , समाज एवं आर्थिक जगत की खबरों का चैनल है | जनता की आवाज़ बनने के उदेश्य से हमारे सभी साथी कार्य करते है अत: हमारे इस मुहीम में आप के साथ की आवश्यकता है |हमारे खबरों को लगातार प्राप्त करने के लिए हमारे चैनल को सबस्क्राइब करना न भूले और बेल आइकॉन को अवश्य दबाए | खबर पसंद आने पर👉 हमारे "चैनल" को Subscribe, वीडियो को Like 👍 & Share↪ , जरुर करें चैनल को सब्सक्राइब करें खबर को शेयर जरूर करें Facebook : https://ift.tt/FdwPHsz Twitter https://twitter.com/DivyaRashmi8 instagram : https://ift.tt/LJTs3rp visit website : https://ift.tt/TJwbDiK
via YouTube https://www.youtube.com/watch?v=oGWS93ZJCsw

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ