Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

जुम्मे के दिन

जुम्मे के दिन

          ---:भारतका एक ब्राह्मण.
             संजय कुमार मिश्र'अणु'
जुम्मे के दिन पढा नमाज सुन कर के अजान,
आया सडक पर आदमी और हो गया शैतान।।
मस्जिद से आखिर ऐसा क्या पढकर आया-
जोकि पयजामे से बाहर हो गया मुस्लमान।।
तुम बताओगे लोग शामिल थे इबादत में-
तो ये बिरोध के नारों से क्यों गुंजा आसमान।।
कहो तु किसलिए किस पर पत्थर चलाया-
ऐसा करने को कैसे तैयार हुआ तेरा इमान।।
जाहिलों की बात सुन खौल उठा तेरा खून-
औरअपने लिए तैयार किया मौत का सामान।।
तुमने आज रब से क्या यही दुआ मांगी थी 
आज हम निकलेगें बनकर मौत का तूफान।।
दश और देश का भला सोचने वाले लोग-
खुद तकलिफें उठा बांटते है सबको मुस्कान।।
तुम लोगों ने आज बहुत बुरा सलूक किया-
पत्थर फेककर कह दिया दंगा है मेरी पहचान।।
बहुतों को तो अब यहाँ रहने में भी डर लगता है-
तो फिर छोड क्यों नहीं देते वे मेरा हिन्दुस्तान।।
इस मिट्टी की खासियत है मिट्टी में मिला देने की-
ये रहने नहीं देती हैं कभी किसीका अभिमान।।
यदि तुम हमसे लडोगे कुछ छोटी-छोटी बातें से-
हम भी लडने को तैयार है सुनों खोलकर कान।।
तुम पाक-साफ हो तो इतनी बौखलाहट क्यों है-
क्यों नहीं कह देते हो है मेरा दिल तुम पर कुर्वान।।
ये सरीयत ये शरारत तुझे बडा महंगा पडेगा अब-
यहाँ जो चलता है न वो तो है अपना संविधान।।
----------------------------------------
वलिदाद,अरवल(विहार)८०४४०२.
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ