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नाटो की नई रणनीतिक अवधारणा से चिंतित है चीन

नाटो की नई रणनीतिक अवधारणा से चिंतित है चीन

संयुक्त राष्ट। चीन नाटो (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) की नई रणनीतिक अवधारणा को लेकर बहुत चिंतित है और उसे अपने रुख पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है। संयुक्त राष्ट्र में चीनी राजदूत झांग जून ने यूक्रेन पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक के दौरान यह बात कही।
श्री जून ने कहा, चीन नाटो के रणनीतिक समायोजन पर पूरा ध्यान देता है और तथाकथित रणनीतिक अवधारणा के नीतिगत निहितार्थों के बारे में गहराई से चिंतित है। चीन ने नाटो से आग्रह किया है कि वह एक नये शीत युद्ध को जन्म न दें और न ही अपना मकसद हासिल करने के लिए यूक्रेन को बलि का बकरा बनाए। चीनी राजदूत ने कहा, हम नाटो से सबक सीखने और यूक्रेन में इस संकट का उपयोग दुनिया भर में एक नए शीत युद्ध को भड़काने के बहाने के रूप में नहीं करने का आग्रह करते हैं। चीन ने इस दौरान यूक्रेन में जारी संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान की बात कही और कीव और मास्को के बीच वार्ता का समर्थन किया। उधर, ब्रुसेल्स से मिली जानकारी के अनुसार तुर्की ने आखिरकार नाटो (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) में शामिल होने के लिए स्वीडन और फिनलैंड के भेजे गए आवेदनों को स्वीकार कर लिया। तुर्की ने पहले संगठन में इन देशों के शामिल होने को लेकर असहमति जाहिर की थी, जिसकी वजह कुर्द चरमपंथियों के खिलाफ इन देशों की तरफ से की गई कार्रवाई का अभाव था। तुर्की का मानना था कि अगर ये नाटो में शामिल हो गए तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरनाक साबित हो सकता है क्योंकि आतंकवादी संगठनों के खिलाफ इनकी कोई स्पष्ट और पारदर्शी नीति नहीं है। स्वीडन और फिनलैंड तुर्की के समर्थन के बिना नाटो में शामिल नहीं हो सकते क्योंकि नाटो के किसी भी फैसले के लिए सभी 30 सदस्यीय देशों के अनुमोदन की आवश्यकता पड़ती है। नाटो में स्वीडन और फिनलैंड के शामिल होने के तुर्की के सहमति के साथ तीनों देशों के विदेश मंत्रियों ने एक संयुक्त सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए।
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