लेखक - अतुल मालवीय
“हिंदुस्तान का बाप; चचा और कांग्रेस का बाप”
"गुरु को बना दिया देश का बाप – मोहनदास गांधी"
"चेला बना कांग्रेस का स्वयंभू बाप और कर गया अपनी आने वाली सात पुश्तों का इंतज़ाम – चचा जवाहरलाल नेहरु"
“नेशनल हेराल्ड केस – सोनिया और राहुल गांधी को सज़ा होना तय है”
भारत जैसा प्राचीन देश, जहाँ सभ्यता और संस्कृति की प्राचीनता एवं महानता की थाह पाना तक असंभव हो, जहाँ हमारे जैसे करोड़ों लोग श्रद्धावनत होते हुए इसे भगवती स्वरुप आराध्या मानकर “भारत माता” के रूप में पूजते हों, उसमें किसी व्यक्ति विशेष को “राष्ट्रपिता” की उपाधि देते हुए “देश का बाप” घोषित करना पूरी सभ्यता, संस्कृति एवं देशवासियों का अपमान नहीं तो और क्या है? समय आ गया है जब इस घिनौनी प्रतीत होने वाली भूल को सुधार लिया जाये और हम श्री मोहनदास करमचंद गांधी को राष्ट्रपिता कहना बंद करें|
ताकतवर व्यक्तियों ने किस तरह से राजनैतिक पार्टियों, संस्थानों, और गरीब जनता के संसाधनों का व्यक्तिगत महात्वाकांक्षाओं और निजी लिप्सा के लिए दुरूपयोग किया है, नेशनल हेराल्ड केस उसका ज्वलंत उदाहरण है। आम बोलचाल की भाषा में जिसे हम कहते हैं "बाप का माल समझा है क्या?" आइये संक्षेप और सरल भाषा में जानते हैं ये केस है क्या जिसकी FIR सुब्रह्मण्यम स्वामी ने दाखिल कर रखी है|
1. वर्ष 1937 में पाँच हज़ार कांग्रेसी मिलकर “नेशनल हेराल्ड” अखबार प्रकाशित करने के लिए एक कंपनी “एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (AJL) की स्थापना करते हैं, जवाहरलाल नेहरु इन पाँच हज़ार सदस्यों में से एक हैं|
2. नवम्बर 2010 में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी एक नई कंपनी बनाती हैं – यंग इंडिया लिमिटेड (YIL) जिसकी 76% शेयर होल्डिंग सोनिया और राहुल गांधी को और 12 – 12% उनके ख़ास सेवकों – मोतीलाल वोरा एवं ऑस्कर फ़र्नान्डीस को दी जाती है|
3. AJL कंपनी पूर्व में ही दीवालिया घोषित कर दी गई थी, नेशनल हेराल्ड समाचारपत्र प्रकाशित करने में असमर्थ हो गई थी| सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी AJL को 90 करोड़ रुपयों का लोन अखबार पुनर्प्रकाशित करने की मंशा से देती है| उसके बावजूद AJL समाचारपत्र को जीवित नहीं रख पाती, साथ ही कांग्रेस का दिया 90 करोड़ का लोन भी चुकाने में चूक जाती है|
4. AJL अपनी सारी परिसंपत्तियां सोनिया और राहुल के स्वामित्व वाली यंग इंडिया लिमिटेड को मात्र पचास लाख रुपयों में बेच देती है| पुनः नोट करें - मात्र पचास लाख रुपयों में| और भी ध्यान दीजिएगा – इस AJL के पास भारत के लगभग सभी महानगरों में मुख्य स्थानों पर बड़े बड़े बहुमंजिला भवन हैं जिनकी कुल कीमत आंकी गयी है – दो हज़ार करोड़ रुपये| इसमें प्रमुख है दिल्ली के सबसे मंहगे स्थानों में से एक बहादुरशाह ज़फर मार्ग पर स्थित विशाल बहुमूल्य भवन| आज यदि आप खरीदने जायें तो इस रोड पर आपको एक लकड़ी की गुमटी पचास लाख में नहीं मिलेगी| तात्पर्य ये है कि सोनिया और राहुल गांधी दो हज़ार करोड़ रुपये संपत्ति वाली कंपनी को मात्र पचास लाख में डकार जाते हैं|
5. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने इस अपराध के लिए सोनिया और राहुल गांधी के खिलाफ दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में मुकदमा दायर किया जिसमें जज ने स्वीकार किया कि ये दुष्कृत्य “SHAM OR CLOAK” कहा जायेगा अर्थात ताकतवर होने के कारण किसी संपत्ति को कौड़ियों के मोल आंकते हुए उस पर कब्जा कर लेना| भारतीय दंड संहिता के Section 403 (Dishonest Misappropriation of Property), Section 406 (Criminal Breach of Trust) and Section 420 (Cheating) read with Section 120B (Criminal Conspiracy) के तहत ये केस चल रहा है जिसमें माँ बेटा दोनों जमानत पर हैं| सुब्रह्मण्यम स्वामी ने जिन अकाट्य सबूतों के साथ पैरवी की है उसमें संदेह की थोड़ी भी गुंजाइश नहीं बचती कि सोनिया और राहुल गांधी को सज़ा होगी और जेल जाना ही पड़ेगा|
नेशनल हेराल्ड के इस केस से यह साबित हो जाता है कि सभी कांग्रेसी, नेहरु-गांधी खानदान के चाटुकार दरबारी नेता ये मानकर ही चल रहे थे कि “नेशनल हेराल्ड” भले ही पाँच हज़ार कांग्रेसियों द्वारा शुरू किया गया हो, उनका पैसा उसमें लगा हो, कांग्रेस पार्टी के सभी संसाधनों पर इसी खानदान का जन्मजात अधिकार है| इन संसाधनों, उनकी संपत्तियों को ये खानदान जैसे चाहे खर्चे या जब चाहे अपने निजी आधिपत्य में ले ले| ये खानदानी बादशाहत आज सोनिया या राहुल ने प्रारंभ नहीं की, ये तो देन है धूर्तता की मिसाल जवाहरलाल नेहरु की|
संस्थाएं और उनकी संपत्तियां तो एक तरफ, जवाहरलाल नेहरु ने पूरे भारत देश पर ही अपने परिवार का मालिकाना हक समझा| ये चालाक राजनेता जहाँ लायक न होते हुए भी, प्रांतीय कांग्रेस समितियों द्वारा सरदार पटेल को कांग्रेस अध्यक्ष / भारत का प्रधानमंत्री चुने जाने के बावजूद स्वतंत्र भारत का पहला रहनुमा बन गया वहीं इसने अपने जीते जी ऐसा जाल बुन दिया कि इसके मरने के बाद भी दिल्ली का सिंहासन इसकी आने वाली तमाम पीढ़ियों के कब्जे में रहे, इसकी आगामी पुश्तें ऐश्वर्य और वैभव में खेलती रहें|
कहते हैं – MAN PROPOSES, GOD DISPOSES अर्थात तेरे मन कछु और है, दाता के कछु और| जवाहरलाल के बाद उनकी तानाशाह पुत्री इंदिरा गांधी, फिर उनके राजनीति में आने के अनिच्छुक पायलट पुत्र राजीव गांधी और उनकी हत्या के बाद लगभग पंद्रह सालों तक उनकी इटैलियन पत्नी एन्टोनिया माइनो उर्फ़ सोनिया गांधी द्वारा निर्देशित नरसिंहराव एवं मनमोहन सिंह नामक कठपुतलियाँ तख़्त-ए-ताउस पर बैठी रहीं| लेकिन हाय उनका दुर्भाग्य – सोनिया का 75% विदेश और 25% भारत में निवास करने वाला बेटा राहुल गांधी मूर्खों में अग्रणी और राजनीति में घोर अनाड़ी साबित हुआ, जनता में पप्पू के नाम से विख्यात हो गया|
कांग्रेस एक के बाद एक किले हारती गयी लेकिन परिवार ने फिर भी इसपर अपना कब्जा नहीं त्यागा| दूसरी तरफ – भारत का सौभाग्य और इसकी धर्मप्राण जनता पर प्रभु की कृपा जो नरेंद्र मोदी का राजनैतिक पटल पर “उदित उदयगिरि मंच पर रघुवर बाल पतंग” की तरह उदय हुआ| कांग्रेस के लिए इससे बड़ा आघात उसके इतिहास में कभी नहीं मिला था जो एक साधारण परिवार का सन्यासी नरेंद्र मोदी उनकी लूट और महात्वाकांक्षाओं के बीच अभेद्य दीवार बनकर खड़ा हो गया|
लगता है तब तक, जब तक कि कांग्रेस पार्टी अस्तित्वहीन होकर विप्लुत नहीं हो जाती, नेहरु-गांधी परिवार इसे चूसना नहीं छोड़ेगा| अभी भी जिन दो तीन राज्यों में कांग्रेस बची हुई है, उनके माध्यम से ये देश के संसाधनों पर डाका डालना अपना पैदाइशी हक़ समझते रहेंगे| भविष्य के गर्त में क्या है, शीघ्र सामने आयेगा, प्रतीक्षा करना ही श्रेयस्कर होगा|
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